क्या यूपी के 'मौसम वैज्ञानिक' बन रहे राजभर? NDA में वापसी ने राजनीति पर उठाए सवाल, फिर बदल लिया पाला
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव हो गया है। से पहले इसे काफी अहम माना जा रहा है। ओम प्रकाश राजभर ने एनडीए का दामन थाम लिया है। इस प्रकार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एक बार फिर यूपी में भाजपा की सहयोगी हो गई है। जातीय दिग्गजों को साधकर भाजपा अब अपने पुराने वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुट गई है। ओम प्रकाश राजभर इसमें बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं। ओपी राजभर ने एनडीए का हिस्सा होने के बाद कहा कि हमने 2024 का चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है। हमें साथ लेने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं। हम 18 जुलाई को दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल होंगे। राजभर ने कहा कि मेरे लिए मंत्री पद महत्वपूर्ण नहीं है। दूसरी तरफ, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया है। मैं एनडीए परिवार में उनका स्वागत करता हूं। राजभर के इस कदम ने उन्हें नए मौसम वैज्ञानिक के रूप में स्थापित कर दिया है।
प्रेस कांफ्रेंस कर दी जानकारी
सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने रविवार सुबह लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 मिलकर लड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने साफ किया कि 14 जुलाई को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई। उनके साथ विभिन्न बिंदुओं पर बात हुई। उन्होंने दावा किया कि दोनों दलों के मिलने से पूरे प्रदेश में एक बड़ी ताकत पैदा होगी। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो सोच है, उसे आगे बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। ओम प्रकाश राजभर के प्रेस कांफ्रेंस के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री ने राजभर और उनके बेटे के साथ मुलाकात की फोटो को शेयर कर उनका स्वागत एनडीए में किया।पासवान कहलाते थे मौसम वैज्ञानिक
देश के शीर्ष दलित नेताओं में से एक लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व प्रमुख रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था। चुनाव से पहले वे हवा का रुख भांप लेते थे। उन्हें पता होता था कि किस गठबंधन की सरकार इस बार केंद्र में बनने वाली है। उसी के हिसाब से वह अपनी रणनीति तय करते थे। चुनावी गठबंधन भी उनका उसी प्रकार से होता था। अब ओम प्रकाश राजभर के बदले तेवर को देखते हुए उन्हें भी मौसम वैज्ञानिक कहा जा रहा है। हालांकि, उन्होंने पिछले कुछ फैसले ऐसे लिए, जिसकी सटीकता उस स्तर की नहीं थी। यूपी चुनाव 2022 से पहले उन्होंने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन किया। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के वापस न आने देने का दावा कर दिया। हालांकि, वह ऐसा कर पाने में विफल हुए। 2017 में एनडीए के साथ गठबंधन और योगी सरकार में मंत्री बनने के बाद उनकी महत्वाकांक्षा बढ़ी। उन्होंने एनडीए छोड़कर अपनी अलग पहचान बनाने की तैयारी की। 2019 के लोकसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर को कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी।बसपा से शुरुआत, मायावती से विवाद के बदली दिशा
ओम प्रकाश राजभर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांशीराम के साथ की थी। 1981 में कांशीराम से जुड़े और बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे। हालांकि, भदोही जिले का नाम संत कबीर नगर रखे जाने पर मायावती के साथ इनका विवाद हो गया। 2001 में यह विवाद इतना गहराया कि ओपी राजभर ने अपनी दिशा अगल करने का फैसला ले लिया। उन्होंने भारतीय समाज पार्टी का गठन किया। 2004 के लोकसभा चुनाव से उन्होंने अपने उम्मीदवारों को उतारना शुरू किया। यूपी और बिहार में वे अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की कोशिश करते रहे। हालांकि, उन्हें किंगमेकर की जगह खेल बिगाड़ने वाले नेता की पहचान मिली। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी को पिछड़ा वर्ग से जोड़ने के लिए महाराजा सुहेलदेव के नाम का उपयोग किया। पार्टी का नाम सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी रख दिया।ओम प्रकाश राजभर ने वर्ष 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन किया। एनडीए का हिस्सा बनने के बाद वे राजनीतिक रूप से अपनी ताकत दिखाने में कामयाब हुए। राजभर वोटरों को एकजुट करने में कामयाब ओम प्रकाश राजभर ने पूर्वांचल में अपनी ताकत दिखाई। हालांकि, योगी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनने के बाद उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढ़ गई। उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कई दलों के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव 2019 में उतरे। सफलता नहीं मिली। यूपी चुनाव 2022 में भी सपा का दबदबा पार्टी में अधिक रहा। चुनाव के समय अखिलेश ने भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का दावा किया। हालांकि, चुनाव परिणाम में भाजपा एक बार फिर पूर्ण बहुमत से जीती। ऐसे में सुभासपा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब नहीं हुई। अब एक बार फिर उनकी एनडीए में वापसी हो गई है।from https://ift.tt/uBFR0a5
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