प्रयागराज महाकुंभ भगदड़: डुबकी लगाने वालों का पल-पल अपडेट पर मौत का आंकड़ा देने में लगा दिए 17 घंटे
![](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/117721029/photo-117721029.jpg)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2025 के दौरान मौनी अमावस्या स्नान से पहले संगम पर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में कई घायल हुए। सभी को अस्पताल पहुंचाया गया। इसके बाद शुरू हुआ तरह-तरह की सूचनाओं का दौर। लोग जानना चाहते थे कि भगदड़ में कितने लोग घायल हैं, कितनों की मौत हो गई है? लेकिन किसी को कोई जवाब नहीं मिल रहा था। पूरा प्रशासनिक अमला चुप्पी साधे रहा। प्रयागराज से लखनऊ तक कोई ये कन्फर्म नहीं कर पा रहा था कि घायल कितने हैं, कितने लोगों की जान चली गई है। आखिरकार हादसे के करीब 17 घंटे बाद बुधवार देर शाम को मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि लगभग 90 घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया, इनमें से 30 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई है। अब सवाल ये है कि वो कुंभ मेला क्षेत्र जहां प्रशासन संगम में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार अपडेट दे रहा है। वहां इतने बड़े हादसे में मौत और घायलों का आंकड़ा देने में 17 घंटे क्यों लग गए? देर रात जब हादसा हुआ तो पूरे संगम क्षेत्र में एंबुलेंस के सायरन गूंजने लगे। भारी भीड़ में लोग बदहवास से खुद की जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते रहे। जिधर नजर दौड़ाइए भीड़ का रेला। मौके पर मेला प्रशासन ने तेजी से सभी घायलों को एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुंचाया गया। रास्ता खाली कराए जाने का प्रयास शुरू हुआ। सुबह होते-होते अखाड़ा परिषद ने ऐलान कर दिया कि इस भगदड़ को देखते हुए शाही स्नान नहीं होगा। इधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान आया, उन्होंने लोगों से अपील की कि संगम की तरफ न जाएं। जो श्रद्धालु जहां हैं, वहीं पास के घाटों पर स्नान कर लें। लेकिन तब तक घायलों, मृतकों का कोई आंकड़ा जारी नहीं किया जा सका। भगदड़ में वे लोग जिनके अपने बिछड़ गए थे। उन्होंने तमाम हेल्पलाइन नंबर से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कई लोग खुद ही अस्पतालों के चक्कर लगाने लगे। कई मॉर्च्युरी पहुंच गए। लेकिन यहां भी कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद जिसने जो देखा वो बयान करने लगा। इसी में मौतों की संख्या भी आने लगी। कोई कह रहा कि मैंने 50 लाशें देखीं, कोई कह रहा 17, कोई 100 से ज्यादा घायल बता रहा था। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के आंकड़े, विजुअल शेयर होने लगे। लेकिन सच किसी को नहीं पता था। पता भी कैसे चले, प्रशासन में सब अनभिज्ञता ही जताते रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी से कई बार बात की और लगातार अपडेट लेते रहे। सुबह करीब साढ़े 11 बजे प्रधानमंत्री ने जब एक्स पर पोस्ट किया तब पहली बार ये साफ हुआ कि भगदड़ में लोगों की मौत भी हुई है। हालांकि यूपी प्रशासन तब भी मौन ही बना रहा। पीएम मोदी ने लिखा, "प्रयागराज महाकुंभ में हुआ हादसा अत्यंत दुखद है। इसमें जिन श्रद्धालुओं ने अपने परिजनों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इसके साथ ही मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। स्थानीय प्रशासन पीड़ितों की हरसंभव मदद में जुटा हुआ है। इस सिलसिले में मैंने मुख्यमंत्री योगी जी से बातचीत की है और मैं लगातार राज्य सरकार के संपर्क में हूं।"इस दौरान कुंभ मेला एसएसपी राजेश द्विवेदी का बयान चर्चा में आ गया। उन्होंने कहा कि कोई भगदड़ नहीं हुई, अत्यधिक भीड़भाड़ थी, जिसके कारण श्रद्धालु घायल हो गए। किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। जब उनसे पूछा किया कि घायल और मृतक कितने हैं? उन्होंने कहा कि मेरे पास संख्या नहीं है। अभी ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। जिला पुलिस से बेहतर जानकारी मिल पाएगी।एक तरफ प्रशासन ये नहीं बता पा रहा था दूसरी तरफ वही मेला प्रशासन डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा जरूर लगातार जारी करता रहा। हां, प्रशासन ये जरूर बताता रहा कि सरकार की आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं और तत्परता की वजह से बड़े हादसे को सीमित कर दिया। घटना में प्रभावित लोगों को बचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 2 से 3 मिनट के अंदर 50 से ज्यादा एंबुलेंस संगम नोज पर पहुंचीं और लोगों की जान बचाने के लिए एम्बुलेंस से 100 से अधिक राउंड लगाए गए। एक्सपर्ट डॉक्टरों ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला। इस मौके पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस टीम भी चिकित्सकों के साथ घायलों की मदद में जुटी रही।घटनास्थल पर ही घायलों को प्राथमिक उपचार देने के बाद गंभीर मरीजों को सेंट्रल हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां उनका इलाज किया गया। जिसके बाद मरीजों को रवाना कर दिया गया। जरूरत पड़ने पर कुछ मरीजों को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल या तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय (बेली अस्पताल) शिफ्ट किया गया।लेकिन ये कोई नहीं बता रहा था कि घायल कितने हैं, मृतक कितने हैं? देर रात एक से दो बजे के बीच हादसा हुआ लेकिन आधा दिन बीत जाने के बाद भी कोई मृतकों की सूचना नहीं। वो भी तब जब प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, गृह मंत्री तक दुख जता चुके थे। इसके बाद आखिरकार देर शाम घटना के करीब 17 घंटे बाद बुधवार देर शाम मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और डीआईजी वैभव कृष्ण ने मौनी अमावस्या के पर्व पर संगम नोज में हुए हादसे की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ब्रह्म मुहूर्त से पहले रात एक बजे से 2 बजे के बीच मेला क्षेत्र में अखाड़ा मार्ग पर भारी भीड़ का दबाव बना। भीड़ के दबाव के कारण दूसरी ओर के बैरीकेड्स टूट गए और लोग बैरीकेड्स लांघकर दूसरी तरफ आ गए और ब्रह्म मुहूर्त पर स्नान का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं को कुचलना शुरू कर दिया। शासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य करते हुए भीड़ को हटाया और एंबुलेंस के माध्यम से लगभग 90 घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन इसमें से दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 30 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई है। इनमें से 25 की पहचान हो चुकी है और शेष की शिनाख्त की जानी बाकी है। मृतकों में कुछ लोग बाहर के प्रदेशों से हैं, जिसमें कर्नाटक से 4, असम से एक, गुजरात से एक हैं। कुछ घायलों को परिवार के लोग लेकर चले गए हैं और 36 घायलों का इलाज स्थानीय मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेला प्रशासन के द्वारा हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया गया है। इस समय स्थिति सामान्य है।इसके बाद महाकुम्भ हादसे को लेकर बुधवार देर शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पत्रकारों से वार्ता करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा, "भारी भीड़ और बैरिकेड्स टूटने के कारण यह दुखद हादसा हुआ।" मुख्यमंत्री ने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश देते हुए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश हर्ष कुमार होंगे, जबकि पूर्व डीजी वी.के. गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस डी.के. सिंह को आयोग में शामिल किया गया है। यह आयोग एक समय सीमा के अंदर अपनी रिपोर्ट देगा। पुलिस भी मामले की जांच करेगी और हादसे के कारणों की गहराई से पड़ताल की जाएगी। यही नहीं, गुरुवार को मुख्य सचिव और डीजीपी भी प्रयागराज जाकर घटना की समीक्षा करेंगे। मुख्यमंत्री ने घटना पर गहरी चिंता जताते हुए कहा, "प्रशासन ने कई दौर की समीक्षा बैठकें की थीं, फिर भी यह हादसा कैसे हुआ? इसकी गहन जांच होगी।" सरकार ने मृतकों के परिवारों को ₹25-25 लाख की सहायता राशि देने की भी घोषणा की है। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजीपी को गुरुवार को घटनास्थल का दौरा कर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। वे हालात का जायजा लेंगे और रिपोर्ट सौंपेंगे।सीएम बोले, "मंगलवार शाम 7 बजे से ही काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन प्रयागराज पहुंचकर स्नान भी कर रहे थे और काफी बड़ी संख्या में ब्रह्म मुहूर्त का भी इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान अखाड़ा मार्ग पर संगम तट पर यह हादसा हुआ। यह हादसा भारी भीड़ के द्वारा अखाड़ा मार्ग के बैरिकेड्स को तोड़ने और उसके बाद उससे कूदकर जाने के कारण हुआ है, जिसमें 30 के आसपास लोगों की मृत्यु हुई है। 36 घायलों का प्रयागराज में उपचार चल रहा है। शेष घायलों को उनके परिवार से सदस्य लेकर चले गए हैं।"सीएम ने कहा कि प्रयागराज में बुधवार को 8 करोड़ से अधिक लोगों का दबाव था। हालांकि अगल बगल के जनपदों मिर्जापुर, भदोही, प्रतापगढ़, फतेहपुर, कौशांबी, में भी होल्डिंग एरिया बनाकर श्रद्धालुजनों को रोका गया था, जिन्हें अखाड़ों का अमृत स्नान संपन्न होने के बाद रिलीज किया गया है। रेलवे स्टेशनों पर भी लगातार दबाव बना रहा। रेलवे ने भी इस दौरान रूटीन और मेला स्पेशल को मिलाकर लगभग 300 से अधिक ट्रेनें चलाई हैं। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने भी 8000 से अधिक बसें संचालित की हैं। ये सभी घटनाएं मर्माहत करने वाली भी हैं और एक सबक भी हैं, लेकिन हादसे की तह में भी जाने की आवश्यकता है।
from https://ift.tt/jGfr6Xt
Comments
Post a Comment