पाकिस्तान के परमाणु बम अमेरिका और इजरायल के निशाने पर, बढ़ने जा रही जनरल मुनीर की टेंशन, सेना के एक्सपर्ट ने चेताया
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इस्लामाबाद: अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर बैन का ऐलान किया है। अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम पर चिंता ने विशेषज्ञों का भी ध्यान खींचा है क्योंकि वॉशिंगटन से दशकों तक इस्लामाबाद को सैन्य मदद मिलती रही है। पाकिस्तानी पत्रकार वजाहत खान ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में नेवल पोस्टग्रेजुएट सेंटर में प्रोफेसर और पूर्व में पाक फौज में ब्रिगेडियर रहे फिरोज खान से जानना चाहा है कि वॉशिंगटन की ओर से इस्लामाबाद के मिसाइल प्रोग्राम पर बैन क्यों लगाया है। साथ ही वजाहत ने फिरोज खान से अमेरिका-पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों में गिरावट और डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद रिश्ते की संभावना पर भी बात की है। वजाहत ने कहा कि पाकिस्तान के प्रति इस तरह का रवैया अमेरिका ने क्यों अपनाया है। इस पर फिरोज खान का कहना है कि कोई भी ये नहीं मानेगा कि पाकिस्तान की ओर से अमेरिका को कोई खतरा हो सकता है। पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम पर अमेरिका के फैसले से लगता है कि पाक की मिसाइलों की रेंज भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर तक पहुंचना अमेरिका को परेशान कर रहा है। इससे अमेरिका नाखुश है और उसने सख्त रुख दिखाया है।
इजरायल का भी इसमें अहम रोल
अमेरिका के इस फैसले में इजरायल की भूमिका की तरफ भी फिरोज खान ने इशारा किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को लगता है कि पाकिस्तान के हथियार पश्चिम एशिया में पहुंच सकते हैं। ऐसे में ये हथियार किसी ना किसी तरह से इजरायल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये खासतौर से अमेरिका के लिए फिक्र की वजह है। ऐसे में इजरायल के बचाव में अमेरिका के फैसले को देखा जा सकता है। इजरायल और अमेरिका आने वाले वक्त में पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर और भी सख्ती दिखा सकते हैं। सैन्य मामलों के एक्सपर्ट फिरोज का मानना है कि बाइडन ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम पर बैन का फैसला लेकर ट्रंप के लिए मुश्किल बढ़ा दी है। अगले महीने डोनाल्ड ट्रंप जब अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने पर उनके सामने पाकिस्तान को लेकर फैसला लेने की चुनौती होगी। ये देखना इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते रखे थे।पाकिस्तान को संभलकर कदम उठाने का जरूरत
प्रोफेसर फिरोज को लगता है कि अफगानिस्तान से अपनी फौज वापस बुलाने के बाद पाकिस्तान की अहमियत अमेरिका के लिए कम हुई है। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप कैसे आगे बढ़ते हैं। इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनकी और इजरायल की कुछ मुद्दों पर पाकिस्तान को लेकर चिंता हो सकती है। डोनाल्ड ट्रंप यकीनी तौर पर पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर आक्रामक हो सकते हैं, इससे दोनों देशों के रिश्ते नीचे आएंगे। ऐसे में ना सिर्फ पाकिस्तान के विदेश मंंत्रालय को सोच समझकर आगे बढ़ना होगा बल्कि पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असीम मुनीर को भी अपनी रणनीति बहुत संभलकर तैयार करनी होगी।from https://ift.tt/ECub0Dr
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