खींवसर में 'दिव्या' बनाम 'हनुमान', जुबानी जंग से गरमाया चुनावी रण, समझें उपचुनाव क्यों बना अखाड़ा
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नागौर : खींवसर का उप चुनाव रालोपा सुप्रीमो अपने राजनीतिक जीवन का अब तक का सबसे कठिन चुनाव लड़ रहे हैं। इसको जीतने के लिए उन्होंने अपने धर्मपत्नी कनिका बेनीवाल को चुनाव मैदान में उतारा है। चुनावी समीकरण बनाने के मास्टर हनुमान जीत का डंका बजाने के लिए मशहूर हैं। गठबंधन की राजनीति के जरिए भाजपा के बाद कांग्रेस से सांसद बनने वाले जाट नेता को अबकी बार इन्हीं के समाज के नेता ने जोरदार घेराबंदी कर निपटाने की योजना को अमली जामा पहनाया है, मानो उन्हें अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसा दिया हो।
हनुमान बेनीवाल को अग्नि परीक्षा देने के लिए जाट नेताओं की चुनौती
नागौर में मिर्धा कुनबे की राजनीति को किनारे लगाने वाले बेनीवाल पिछले दो दशकों से राजस्थान की राजनीति में एक प्रमुख जाट नेता के रूप में उभर के आए हैं। उन पर आरोप है कि वह अपने ही समाज के नेताओं को ठिकाने लगाकर कद ऊंचा कर रहे हैं। दरअसल, बेनीवाल भी अपने भाषणों में दिग्गज जाट नेताओं को दरकिनार करने की बात कहते रहे हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख जाट नेताओं ने अपने-अपने तरीके से हनुमान बेनीवाल को खींवसर के उपचुनाव में अग्नि परीक्षा देने के लिए खड़ा कर दिया।दमदार जाट नेता रेवतराम डांगा सबसे करीबी प्रतिद्वंद्वी
पहले भाजपा ने रेवत राम डांगा को फिर से प्रत्याशी बनाया। जिन्होंने पिछला चुनाव बेनीवाल से मात्र 2 हजार मतों से हारा था। भाजपा की मंशा रही, डांगा को पिछली हार की सहानुभूति का लाभ मिले। वैसे भी भाजपा के पास कोई दमदार जाट नेता नहीं है जो हनुमान बेनीवाल से मुकाबला कर सके। भाजपा की ज्योति मिर्धा परिवार सहित पहले ही पूरी तरह पस्त हो चुकी है।गोविंद सिंह डोटासरा भी कर रहे दो-दो हाथ
बेनीवाल से दो-दो हाथ करने वाले दूसरे प्रमुख जाट नेता हैं राजस्थान प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा। दोनों नेताओं की अदावत किसी से छुपी नहीं है। इस बार डोटासरा ने अपने पावर का उपयोग करते हुए उप चुनाव में गठबंधन की राजनीति को तोड़कर कांग्रेस से महिला उम्मीदवार रतन चौधरी को खींवसर में उतार दिया। मकसद साफ रहा है गठबंधन के जरिए संसद-विधानसभा पहुंचने वाले इस निर्णय से बेनीवाल की जीत में बाधा उत्पन्न की जाए। ज्ञात रहे कांग्रेस की महिला उम्मीदवार के पति और पूर्व पुलिस अधिकारी सवाई सिंह ने पिछला चुनाव बेनीवाल के सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में लड़ा था।हनुमान की बेबसी - 'विधानसभा में साफ हो जायेंगे'
राजस्थान की राजनीति की तीसरी शक्ति बनने की ख्वाहिश पाले हनुमान बेनीवाल का सफर तो बहुत तेजी से आगे बढ़ा लेकिन धीरे-धीरे रालोपा में बिखराव के चलते उनकी मंशा का तुषारापात हो गया और देखते-देखते बेनीवाल को अपना और पार्टी का अस्तित्व गुम होता दिखाई देने लगा। इस बार के उपचुनाव में हनुमान की बेबसी भी साफ-साफ दिखाई दी। तभी उन्होंने कहा 'उपचुनाव के नतीजों से कांग्रेस-बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। असर पड़ेगा तो रालोपा पर पड़ेगा। यदि चुनाव हार गये तो विधानसभा में साफ हो जायेंगे और मैने जो लड़ाई कमजोर, मजबूर,किसान,मजदूर और 36 कौम के लिए लड़ी उसको भारी नुकसान पहुंचेगा।'ताबड़तोड़ कोशिश कर रहे बेनीवाल
बेनीवाल अपने ही 'खींवसर' में चारों ओर से गिरने के बावजूद कड़ी मेहनत के बल चुनावी चौसर को रालोपा के पक्ष में करने के लिए ताबड़तोड़ कोशिश कर रहे हैं। जोशीलें भाषणों से युवाओं को सम्मोहित करने वाले इस जाट नेता ने कांग्रेस को तो काफी पीछे छोड़ रखा है लेकिन मुकाबले में भाजपा अभी भी खड़ी नजर आ रही है। यह दीगर है अंदरखाने भाजपा में भी गड़बड़ मची है। मतदान की तारीख ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है त्यों-त्यों चुनावी मौसम में तीखी गर्मी महसूस होने लगी है।जुबानी जंग- चार चार बजे तक वोट मांगते रहे हैं
खींवसर का चुनाव प्रचार काफी निचले स्तर तक जा पहुंचा है। कांग्रेस की महिला नेत्री ने हाल ही बेनीवाल के खिलाफ जोरदार बयानबाजी कर उनको आड़े हाथों लिया है। जिसका नतीजा है कि खींवसर का चुनाव हनुमान-दिव्या के पलटवार बयानों पर केन्द्रित हो चुका है। दिव्या के अपने एक्स ट्विटर हैंडल पर जारी एक वीडियो, जिसमें महिला नेत्री ने बेनीवाल पर तंस करते हुए कहा 'मुझे हराने वाले अब रात को तीन-तीन,चार-चार बजे तक वोट मांगते रहे हैं।'ये कैसी बयानबाजी, कैसा पलटवार
इस बयान से जाट नेता पूरी तरह तिलमिला उठे। अपने कड़क बयानों से अलग पहचाने जाने वाले जाट नेता को दिव्या का बयान नागवार गुजरा और भाषा की मर्यादा तोड़कर पलटवार करते उन्होंने दिव्या से पूछ लिया कि वो अपने क्षेत्र में तीन चार बजे तक घूम रहे हैं लेकिन आपके मकान का तो दरवाजा नहीं खटखटाया साथ ही उजुल-फिजूल बयान देने पर उन्हें डूबकर मर जाने की बात तक कर डाली।कुएं में डूब कर मर जाना चाहिए?
जाहिर तीखे बयान देने के लिए मशहूर दिव्या भी जबाव देने से कहां चूकने वाली रही। उन्होंने बेनीवाल बयान पर पलटवार किया और पूछा 'क्या मुझे कुएं में डूब कर मर जाना चाहिए?' बहरहाल राजस्थान में सात सीटों पर हो रहे उप चुनावों में सबसे ज्यादा लावा खींवसर में निकल रहा है। जहां जाट नेता एक-दूसरे से जबरदस्त 'भचभैडी' ले रहे हैं और तय करने में लगे है कि राजस्थान का बड़ा चौधरी कौन ? राजनीतिक के घमासान के बारे में टीकाकारों का मत है कि हनुमान यह बाजी हार गये तो उनको गहरा झटका लगेगा और जीत गए तो 'सुपर चौधरी' का तमका भी उन्हें ही मिलेगा।(रिपोर्ट-बाल मुकुंद जोशी)from https://ift.tt/FzlS1IA
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