मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन का इंतजार खत्म, आ गई गुड न्यूज... 2025 से लग जाएगा काम
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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर से बरौनी जाने वालों के लिए खुशखबरी है। मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन का निर्माण जल्द ही शुरू होगा। एनएचएआई ने तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से 110 किलोमीटर लंबे इस फोरलेन को बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। डीपीआर और एलाइनमेंट को मंजूरी मिल चुकी है और टेंडर प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी।
2025 में शुरू होगा नए फोरलेन काम
2025 में काम शुरू होने की उम्मीद है और 2027 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है। इससे मुजफ्फरपुर से पूर्णिया की दूरी घटकर तीन घंटे रह जाएगी। वहीं, पश्चिम बंगाल जाना भी आसान होगा। कुल मिलाकर इससे कई घंटों की दूरी कुछ घंटों में नाप दी जाएगी।सालों से हो रहा था मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन का इंतजार
मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन के लिए वर्षों से लोग इंतजार कर रहे थे। अब जाकर उनकी यह मुराद पूरी होने जा रही है। एनएचएआई ने बताया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए तीन हजार करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। इस फोरलेन के बनने से मुजफ्फरपुर से बरौनी का सफर आसान हो जाएगा और समय की भी बचत होगी।जानिए कहां तक पहुंचा है काम
- एनएचएआई के परियोजना निदेशक ललित कुमार ने बताया कि
- साल 2025 से काम शुरू होकर 2027 में इसे पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित करने की बात
- अंतिम रूप से इसी पर निर्णय लेने की उम्मीद
- प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण की ज्यादा समस्या नहीं ट
- एनएच-28 में पहले से ही विभाग के पास काफी जमीन
- दीघरा के पास थोड़ी जमीन अधिग्रहित की जाएगी
- अधिग्रहण के लिए भेजा गया प्रस्ताव
मुजफ्फरपुर से पूर्णिया जाने में लगेंगे सिर्फ तीन घंटे
इस फोरलेन के बनने से मुजफ्फरपुर से पूर्णिया जाने में लगने वाला समय घटकर आधा रह जाएगा। अभी टू लेन सड़क होने के कारण यह दूरी तय करने में लगभग पांच घंटे लगते हैं। फोरलेन के पूरा होने पर यह दूरी सिर्फ तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी। परियोजना निदेशक ने बताया कि बरौनी से आगे पूर्णिया तक फोरलेन का काम पहले से ही चल रहा है। इस तरफ से काम पूरा होने के बाद मुजफ्फरपुर से पूर्णिया तक फोरलेन सड़क हो जाएगी। इसी फोरलेन के जरिए मुसाफिर पश्चिम बंगाल भी जा सकेंगे।इसलिए लटका हुआ था मामला
मुजफ्फरपुर-बरौनी फोरलेन निर्माण को लगभग आठ साल पहले मंजूरी मिली थी। लेकिन बजट आवंटन और डीपीआर के लिए टेंडर प्रक्रिया में देरी होने के कारण मामला लटका हुआ था। डीपीआर और एलाइनमेंट बनाने में ही लगभग तीन साल से ज्यादा का समय लगा। कई बार तकनीकी खामियों के कारण इसे रद्द करना पड़ा था। आखिरकार अब जाकर इसे मंजूरी मिल पाई है।from https://ift.tt/j6qvwxF
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