गठबंधन टूटने के बाद भी सैनी सरकार में जमे जेजेपी के ये नेता, हर महीने मिल रही 75 हजार सैलरी, जानें पूरा मामला
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चंडीगढ़: हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूटे हुए पांच महीने हो गए है। इस गठबंधन के टूटने के बाद भी जेजेपी नेता राजेंद्र लितानी हरियाणा खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष बने हुए हैं। लितानी को सितंबर 2022 में बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, जब जेजेपी और जेजेपी का गठबंधन था। आमतौर पर, सत्ताधारी दल से जुड़े लोगों को ही बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष पदों पर नियुक्त किया जाता है। अध्यक्ष की नियुक्ति एक वर्ष के लिए होती है, जिसे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन आमतौर पर उनका कार्यकाल सत्ता में रहने वाली पार्टी तक ही सीमित होता है। राज्य सरकार चाहे तो नियुक्ति पत्र में दिए गए कार्यकाल से पहले भी उनका कार्यकाल कम कर सकती है। इस साल मार्च में भाजपा-जेजेपी गठबंधन टूटने के बावजूद लितानी न केवल अपने पद पर बने हुए हैं, बल्कि राज्य सरकार ने उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का काम भी सौंपा।जेजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लितानी का कार्यकाल सितंबर में समाप्त होना था और इसलिए वह वर्तमान पद पर बने हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में, या तो सरकार को उन्हें हटाना होगा या लितानी को खुद इस्तीफा देना होगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसलिए वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे।लितानी को मिल रही ये सुविधाएंहरियाणा सरकार द्वारा लितानी की नियुक्ति के संबंध में जारी अधिसूचना में निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार, उन्हें वेतन के रूप में 75,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं। इसके अलावा, वह अपने कार्यभार संभालने की तिथि से मकान किराया भत्ता या वास्तविक किराया के रूप में 50,000 रुपये प्रति माह पाने के हकदार हैं। अध्यक्ष राज्य सरकार के वर्ग-एक अधिकारियों को मिलने वाली टेलीफोन सुविधा, यात्रा भत्ता, दैनिक भत्ता और चिकित्सा सुविधाओं के भी हकदार हैं। हरियाणा सरकार के अपर मुख्य सचिव को मिलने वाली कार के समकक्ष एक स्टाफ कार, ड्राइवर के साथ, उन्हें मुख्यालय पर आधिकारिक यात्रा और बाहर की आधिकारिक यात्रा के लिए भी दी जाएगी। इसके अलावा, अध्यक्ष को उनके घर के लिए एक निजी सचिव, एक लिपिक और एक चपरासी भी प्रदान किया जाता है।राजनीतिक मजबूरी या कुछ औरयह मामला कई सवाल खड़े करता है। क्या यह सिर्फ एक चूक है या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक मजबूरी है? क्या जेजेपी और भाजपा के बीच कोई अंदरूनी समझौता हुआ है? क्या लितानी का कार्यकाल पूरा होना तय है? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले समय में ही मिल पाएंगे।
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