तालिबान के पास 'सफेद सोने' का खजाना, भारत हो सकता है मालामाल, चीन की हेकड़ी पर लगेगी लगाम, समझें
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काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद भारत के साथ रिश्ते अब काफी मजबूत हो गए हैं। भारत ने अपने दूतावास को फिर से खोल दिया है। वहीं दिल्ली में अफगान दूतावास में मौजूद अशरफ गनी सरकार के राजदूत भी देश छोड़कर जा चुके हैं। भारत ने अफगानिस्तान को करोड़ों डॉलर की मदद को भी जारी रखा है। भारत अभी विनिर्माण उद्योग पर फोकस कर रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी उसकी नजर है। भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देना चाहता है ताकि जलवायु के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके। भारत के इस सपने को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका लिथियम की होगी और इसकी सतत सप्लाई अभी बहुत बड़ी चुनौती है। चीन का लिथियम के बाजार पर कब्जा है जिससे बैट्री और सेमिकंडक्टर बनता है। भारत की इस जरूरत को अफगानिस्तान पूरा कर सकता है जो सफेद सोना कहे जाने वाले लिथियम से भरा हुआ है। लिथियम की सतत सप्लाई से भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियां आसानी से रफ्तार पकड़ सकेंगी। चीन ने अफगानिस्तान के इसी खजाने को देखते हुए वहां पर बहुत तेजी से अपनी पकड़ मजबूत करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान में 1 ट्रिल्यन डॉलर का लिथियम का भंडार है। इस पर भी कब्जा करने के लिए चीन बहुत आक्रामक तरीके अफगानिस्तान में अपना विस्तार कर रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारत अफगानिस्तान में रणनीतिक निवेश करता है तो तालिबानी सरकार देश में राजनीतिक और बिजनस का माहौल सुधारेगी।
चीन की चाल पर लगाम लगा सकता है भारत
वर्तमान समय में चीन दुनिया के 60 फीसदी लिथियम को साफ करता है और उसने चिली से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक में लिथियम की खानों में अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है। भारत की लिथियम सप्लाई भी बहुत ज्यादा चीन से आयात पर निर्भर है। इससे जहां चीन मनमाना दाम वसूल रहा है, वहीं संकट के समय में इसको रोके जाने का भी खतरा है। बता दें कि गलवान हिंसा के बाद भारत ने सैकड़ों चीनी ऐप पर बैन लगाया है और वहां से आने वाले निवेश को भी रोक दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत अफगान लिथियम भंडार में हिस्सेदारी खरीदता है तो नई दिल्ली अपनी चीन पर से निर्भरता को कम कर सकेगा। भारत के बारे में अनुमान है कि साल 2030 तक लिथियम की डिमांड 56 हजार मिट्रिक टन सालाना तक पहुंच जाएगा। इतनी सप्लाई होने पर ही भारत का इलेक्ट्रिक गाड़ियों का सपना पूरा होगा। शक्तिशाली बैट्री बनाने के लिए लिथियम सबसे जरूरी खनिज है। बैट्री के अलावा लिथियम की जरूरत इलेक्ट्रानिक्स, टेलिकम्यूनिकेशन और विभिन्न औद्योगिक उपकरणों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी भारत के आर्थिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। इसीलिए भारत सप्लाई चेन में विविधता ला रहा है। भारत अपने कश्मीर में मिले लिथियम भंडार को भी निकालने जा रहा है। भारत पिछले दो दशक में पहले ही अरबों डॉलर की मदद अफगानिस्तान को दे चुका है। अब चीन यहां पर बीआरआई को आगे बढ़ाने की कोशिश में है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत अगर लिथियम निकालने के लिए अफगानिस्तान में आता है तो इससे तालिबान की चीन पर से निर्भरता कम हो जाएगी।from https://ift.tt/UfxT1bp
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