अंधेरे लिफ्ट में मदद के लिए चिल्लाता रहा इंजिनियर, सड़क पार करने की जल्दी बनी आफत, पुलिस ने यूं बचाई जान

योगेश तिवारी, नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में विज्ञापन से लदे खड़े फुट ओवरब्रिज (FOB) पर अथॉरिटी की अनदेखी से जनसुविधाएं जर्जर हो रही हैं। इसका खमियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सेक्टर-70 और 73 के बीच बने एफओबी की लिफ्ट में शनिवार को एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर सवार हुए। लिफ्ट नीचे जाकर बंद हो गई। उसमें सवार इंजीनियर एक घंटे से ज्यादा समय तक फंसे रहे। उन्होंने अपने एक परिचित को फोन किया तो वह मौके पर पहुंचे। डायल-112 पर पुलिस को सूचना दी गई। फेज-3 थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। बाहर से लिफ्ट फैलाई गई तब जाकर इंजीनियर बाहर निकले।यह घटना दोपहर 12 बजे के करीब हुई। सेक्टर-121 में रह रहे गोविंद मूलरूप से राजस्थान के निवासी हैं। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर गोविंद शहर की एक कंपनी में नौकरी करते हैं। उन्होंने बताया कि छुट्टी का दिन होने के कारण वह सेक्टर-70 में रहने वाले अपने एक सीनियर से मिलने के लिए आए थे। सेक्टर-73 की तरफ से एफओबी पर चढ़े और फिर सेक्टर-70 बसई की तरफ उतरने के लिए ऊपर लिफ्ट का बटन दबाया। लिफ्ट खुल गई। वह उसमें सवार हो गए। लिफ्ट नीचे पहुंचकर फंस गई। फेज-3 थाना प्रभारी ने बताया कि लिफ्ट के अंदर युवक के फंसने की सूचना मिली। तत्काल टीम के साथ वह मौके पर गए। पहले लिफ्ट के दराज से उसे साहस देकर जल्द बाहर निकाले जाने का आश्वासन दिया। फिर मैकेनिक को बुलाया गया। बाहर से लिफ्ट को बलपूर्वक खुलवाकर युवक को सकुशल निकाला गया। इस घटना के बाद लिफ्ट को बंद कर दिया गया।लिफ्ट में घुट रहा था दम गोविंद ने बताया कि जब वह लिफ्ट में फंसा तो मोबाइल भी सही से काम नहीं कर रहा था। वह जिनसे मिलने के लिए गया था वह उनके सीनियर हैं। पूरी तरह लिफ्ट में अंधेरा था। बस यह पछतावा हो रहा था कि लिफ्ट में क्यों गया। पैदल सीढ़ियों से क्यों नहीं उतर गया। अलार्म दबाया तो वह भी काम नहीं कर रहा था। फिर शोर मचाना शुरू किया लेकिन वहां पर कोई सुनने वाला नहीं था। उमस भरी गर्मी ज्यादा होने से दम घुट रहा था। कुछ देर बाद जिनसे मिलने गया था, उनसे फोन पर संपर्क हुआ। मैंने जानकारी दी तो वह खोजते हुए लिफ्ट के बाहर तक आए। पहले उन्होंने कोशिश की लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। डायल-112 पर पुलिस को फोन कर मदद मांगी। करीब 10 मिनट के अंदर पुलिस आ गई। बाहर से लोग मुझे हिम्मत न हारने और जल्द ही बाहर निकालने की जानकारी दे रहे थे। बाहर निकला तो लगा कि दूसरी जिंदगी मिली है। पुलिस का आभार जो मेरे लिए देवदूत बनकर आई।बदहाल हैं एफओबी की जनसुविधाएंशहर में बहुत से एफओबी हैं जिनकी देखरेख नहीं हो रही। कई एफओबी पर तो लिफ्ट बंद ही रहती है। नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे समेत शहर में अन्य जगहों पर करीब 25 एफओबी बने हुए हैं। अथॉरिटी से करार के मुताबिक इनको जो विज्ञापन एजेंसी बनाती है उसे विज्ञापन के लिए होर्डिंग लगाने की जगह मिलती है। बदले में लिफ्ट, साफ-सफाई की सुविधा रखनी होती है। सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं इसकी निगरानी का जिम्मा अथॉरिटी के बीओटी विभाग में तैनात इंजीनियरों का होता है।


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