म्यांमार में अब 'करो या मरो' के मूड में जुंटा सेना, विद्रोहियों के खिलाफ शुरू किया ऑपरेशन 'आंग जेया', जानें प्लान
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नेपीडॉ: म्यांमार में जुंटा सेना और विद्रोहियों के बीच जारी लड़ाई अब आखिरी चरण की ओर बढ़ती दिख रही है। छह महीने तक लगातार हार के बाद म्यांमार की सेना अब आक्रामक रुख अपना रही है और उसे कुछ अहम सफलताएं भी मिली हैं। सेना विद्रोहियों को पीछे धकेलने और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण थाई सीमा व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से पिछले तीन हफ्तों से ऑपरेशन चला रही है। इस ऑपरशन को 'आंग जेया' नाम दिया गया है, जिसे सेना अपने बहुत मुश्किल वक्त में कर रही है। इस ऑपरेशन को जुंटा के लिए करो या मरो की तरह देखा जा रहा है।एशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मिलिट्री स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन (एसएसी) को बहाल करने की कोशिश का थाईलैंड की सीमा से लगे देश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित करेन राज्य में तत्काल प्रभाव पड़ेगा। केरेन राज्य की राजनीति से परे वर्तमान अभियान का नतीजा एसएसी की व्यापक सैन्य क्षमताओं का एक महत्वपूर्ण संकेत प्रदान करेगा। अप्रैल के मध्य में शुरू हुए बड़े अभियान का प्रारंभिक उद्देश्य थाई सीमा पर एशियाई राजमार्ग (एएच1) पर कावकेरिक शहरों और पश्चिम में ग्यांग नदी पर कावबीन पर फिर से कब्जा है, जो मार्च के आखिर में विद्रोहियों ने नियंत्रण में ले लिया था।
जुंटा सेना ने कावबीन पर फिर से किया नियंत्रण
जुंटा सेना को अपने लक्ष्य में अहम सफलता 25 अप्रैल को मिली, जब जमीन और नदी के रास्ते आगे बढ़ते हुए उन्होंने कावबीन पर फिर से कब्जा कर लिया। ऑपरेशन आंग जेया अब अधिक संकीर्ण डावना रेंज में आगे बढ़ने पर केंद्रित है, जो बड़े पैमाने पर नष्ट हो चुके कावकारिक को मोई नदी घाटी और म्यावाड्डी में थाई सीमा से विभाजित करता है। म्यांमार में चल रही इस लड़ाई में कई पहलू निकलकर सामने आ रहे हैं।माव्लाम्यिन के कवच में लगभग 20 यूक्रेनी-निर्मित बीटीआर-3यू बख्तरबंद कार्मिक वाहक (एपीसी) और कुछ छोटी रूसी बीआरडीएम स्काउट कारें शामिल की गई हैं। आर्टिलरी सपोर्ट 122 मिमी और 240 मिमी ट्रक-माउंटेड मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमएलआरएस) के आकार में आया है, बाद वाला उत्तर कोरियाई सिस्टम है जिसकी रेंज 40 किलोमीटर तक है। साथ ही इस अभियान में कावकेरिक शहर के चारों ओर एक परिचालन लॉन्च पैड को सुरक्षित करने के लिए ऑपरेशन शुरू करने के बाद, ऑपरेशन आंग जेया में डावना रेंज की पहाड़ियों में आगे बढ़ना शामिल है। इस सबके साथ-साथ एसएसी पर चीन का भारी दबाव बना हुआ है, जिसका समर्थन उसके अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि उन आपराधिक घोटाले केंद्रों को बंद किया जा सके जो चिट थू की प्राथमिक राजस्व धारा बन गए हैं।इस सबमें एक अहम पहलू ये भी है कि कावकेरिक से सेना की बेदखली गंभीर परिणामों के साथ एक सैन्य आपदा साबित हो सकती है। यह पश्चिम के कस्बों को खतरे में डाल देगा। यांगून के मुख्य राजमार्ग पर हापा एन राजमार्ग के दक्षिण में कावबीन शहर पहले भी एक बार विद्रोहियों के कब्जे में आ चुका है। मौलाम्याइन और यांगून के बीच सड़क और रेल संपर्क रणनीतिक रूप से अनिश्चित स्थिति को दर्शाती है, जिसका सामना एसएसी अब कर रहा है। अभी भी ये कहना मुश्किल है कि म्यांमार में क्या होने वाला है।from https://ift.tt/5fXn3EN
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