फलस्तीन की स्थायी सदस्यता पर संयुक्त राष्ट्र में पारित हुआ प्रस्ताव तो इजरायली प्रतिनिधि आगबबूला, फाड़ा यूएन चार्टर
वॉशिंगटन: गाजा युद्ध के बीच फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता देने वाले प्रस्ताव के पारित होने पर इजरायल आगबबूला हो गया है। संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाड एर्दान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से ही यूएन के चार्टर को फाड़ डाला। इस प्रस्ताव में फलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता देने का समर्थन किया गया था। इजरायली राजदूत ने इस प्रस्ताव को यूएन के चार्टर का साफ तौर उल्लंघन करार दिया। साथ ही कहा कि यह अमेरिका के पिछले महीने लगाए गए वीटो को पलटने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि इस मौके को पूरी दुनिया याद रखे। यह अनैतिक कृत्य है। इसके साथ ही उन्होंने यूएन के चार्टर को फाड़ डाला। गिलान ने यह भी कहा कि मैं अपने हाथ शीशा लिया हूं ताकि आप देख सकें। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव ने आधुनिक नाजियों के लिए संयुक्त राष्ट्र का दरवाजा खोल दिया है। उनका इशारा हमास की ओर था। उन्होंने कहा कि इस फैसले का परिणाम यह होगा कि जल्द ही याह्या सिनवार हमास के आतंकी राज्य का राष्ट्रपति होगा। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने शुक्रवार को विश्व निकाय में फिलिस्तीन की सदस्यता को विशेष दर्जा देने के लिए मतदान किया, जिसका उद्देश्य पूर्ण सदस्यता पर अमेरिकी वीटो को रोकना था।
भारत ने फलस्तीन का किया खुलकर समर्थन
गाजा पर इजरायल के हमले और युद्धविराम की लड़खड़ाती कोशिशों के साये में ऐतिहासिक प्रस्ताव को भारत, फ्रांस, चीन, रूस और जापान सहित 143 वोटों के साथ अपनाया गया, जबकि अमेरिका और इजरायल सहित 9 विपक्ष में थे। पिछले महीने सुरक्षा परिषद में पूर्ण सदस्यता के लिए फिलिस्तीन की बोली के एकमात्र अमेरिकी वीटो को खारिज करते हुए यूके, कनाडा और कई यूरोपीय सदस्यों सहित 25 सदस्य गैरहाजिर रहे।अमेरिका और इजरायल के अलावा हंगरी, चेकिया, अर्जेंटीना, माइक्रोनेशिया, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी और नाउरू ने इसका विरोध किया। फिलिस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने मतदान से पहले कहा कि इसका समर्थन करना "शांति में निवेश" और "सही काम" है। एक पर्यवेक्षक देश बने रहने के दौरान फिलिस्तीन को महासभा के कार्यालयों में चुने जाने, अन्य पर्यवेक्षकों के साथ पीछे रहने के बजाय नियमित सदस्य देशों के बीच बैठने, सभी मामलों पर बोलने, प्रस्ताव बनाने और निकाय के समक्ष मामलों में संशोधन पेश करने का अधिकार मिलता है और विभिन्न प्रक्रियात्मक मामलों में भाग लेते हैं।अमेरिका ने दी वीटो की चेतावनी
लेकिन इसकी विशेष सदस्यता इसे विधानसभा में मतदान करने या संयुक्त राष्ट्र के अन्य निकायों में सदस्यता लेने की अनुमति नहीं देगी। सुरक्षा परिषद को पूर्ण सदस्यता के विपरीत, विशेष दर्जे को मंजूरी नहीं देनी होगी, जिस पर अमेरिका ने वीटो कर दिया है। अल्जीरिया द्वारा प्रस्तावित और बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव द्वारा सह-प्रायोजित प्रस्ताव में परिषद से पूर्ण सदस्यता के लिए फिलिस्तीन के अनुरोध पर पुनर्विचार करने के लिए भी कहा गया।अमेरिकी उप स्थायी प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने चेतावनी दी कि इसे वीटो कर दिया जाएगा। राजनयिकों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के बाद अपनाया गया यह प्रस्ताव उस अमेरिकी कानून को दरकिनार कर देता है, जिसके तहत पूर्ण सदस्यता देने पर संयुक्त राष्ट्र में उसका योगदान स्वतः ही बंद हो जाता। यह संगठन को पंगु बना देगा, क्योंकि वाशिंगटन संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट का 22 फीसदी और शांति स्थापना बजट का 27 फीसदी योगदान देने वाला सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।from https://ift.tt/XHR82vz
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