झारखंड: एक अफसर ने ली 10 हजार घूस और मंत्री तक पहुंच गया मामला, गजब है इस कैश की कहानी

रांचीः झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने राज्य के ग्रामीण विकास के पीएस समेत अन्य करीबियों और सरकारी पदाधिकारियों के ठिकाने पर छापेमारी की। ईडी की यह कार्रवाई चर्चित अभियंता से जुड़े मामले में की है। इस पूरे मामले की शुरुआत 10 हजार रुपये से शुरू हुई और अब बात करोड़ों रुपये के कैश तक जा पहुंची है। इससे पहले भी ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता रहे वीरेंद्र राम के आवास से करोड़ों रुपये कैश और कई बेनामी संपत्ति को जब्त किया जा चुका है।

वीरेंद्र राम के करीबी जेई की गिरफ्तारी से मामला खुला

प्रवर्तन निदेशालय ने जिस मामले को लेकर वीरेंद्र राम के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, यह मामला दस हजार रुपये घूस से जुड़ा था। 13 नवंबर 2019 को एसीबी ने वीरेंद्र राम के मातहत जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को एक ठेकेदार से 10 हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा था। हालांकि जेई की ओर से ठेकेदार से एक लाख रुपये रिश्वत की मांग की गई थी। जिस वक्त सुरेश प्रसाद वर्मा को पकड़ा गया, उस दौरान वे जमशेदपुर में वीरेंद्र राम के मकान में रहते थे। एसीबी ने जब सुरेश वर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की, तब घर से दो करोड़ रुपये से अधिक बरामद किए गए थे। उस समय सुरेश प्रसाद वर्मा ने बताया कि पैसे वीरेंद्र राम के हैं और उनके रिश्तेदार ने पैसे रखने को दिया था। इस मामले में सुरेश प्रसाद वर्मा को जेल भेज दिया गया। एसीबी ने तब जांच का दायरा बढ़ाया, तो वीरेंद्र राम की अकूत संपत्ति की जानकारी की।

मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के 24 ठिकानों पर पड़ा था छापा

ईडी ने पिछले साल फरवरी महीने में भी मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के 24 ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेज के आधार पर उनसे पूछताछ शुरू हुई, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। झारखंड के इस मुख्य अभियंता के ठिकानों से 30 लाख रुपये के अलावा 1.50 करोड़ रुपये जेवरात मिले थे। इसके अलावा ईडी को उनके 100 करोड़ रुपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति का भी पता चला था।

अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाना चाहते थे वीरेंद्र राम

बिहार के सिवान जिले के मैरवा के मूल रूप से रहने वाले वीरेंद्र राम की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में वो अपनी पत्नी को बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन समय ने साथ नहीं दिया। एसीबी की जांच में उनका नाम सामने आ गया और अपनी पत्नी को टिकट नहीं दिला सके।


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