आखिर कब समझेंगे हम? दूसरों की नहीं तो खुद की तो सोचिए, जान पर भारी पड़ रही ये लापरवाही

नई दिल्ली : दिल्ली के पॉश इलाके में शुमार होने वाले सफदरजंग इन्क्लेव में एक वैन चालक ने एक महिला साइक्लिस्ट को टक्कर मार दी। हादसे में महिला प्रीति गुप्ता की मौत हो गई। प्रीति एक साइक्लिंग क्लब से जुड़ी थीं। गुड़गांव में ही एक मर्सिडीज चला रहे व्यक्ति ने स्कूटर सवार को ना सिर्फ टक्कर मारी बल्कि उसे कुछ दूर तक घसीटता हुआ ले गया। इसके अलावा साउथ दिल्ली इलाके में 12 फुट गहरे गड्ढे में फिसल कर गिरने की वजह से एक 43 वर्षीय व्यक्ति रमेश चंद की मौत हो गई। रमेश चंद दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी थे। गड्ढे में गिरने के बाद 4-5 स्थानीय लड़कों की मदद से उन्हें बाहर निकाला गया। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उन्होंने दम तोड़ दिया। पता लगा कि यह गड्ढा कथित रूप से दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से खोदा गया था। कुछ दिन पहले ही मुंबई में भी इंटेंल कंपनी के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट को साइकिल चलाने के दौरान एक कैब से टक्कर के बाद जान गंवानी पड़ी थी। महानगरों से रोज साइकिल सवार से लेकर पैदल यात्रियों की सड़क हादसे में मौत की खबरें आ रही हैं। आखिर इन घटनाओं के पीछे वजह क्या है।

लापरवाही पड़ रही भारी

प्रथम दृष्टया इन सब घटनाओं के पीछे सबसे बड़ी वजह लापरवाही है। कहते हैं कि लापरवाही का अंत हमेशा पछतावा ही होता है। इस लापरवाही की वजह से ना जाने कितनी बहुमूल्य जिंदगियां असमय दुनिया से रुखसत हो जा रही हैं। कभी-कभी तो लापरवाही इतनी भयंकर होती है कि उसकी कीमत हम अपनी सबकुछ देकर भी चुकाना चाहें तो वो संभव नहीं होता है। हम लोगों की लापरवाही यह है कि हम जान की कीमत ही नहीं समझते हैं। यदि परिवार में किसी सदस्य की असमय मौत हो जाए, कोई सदस्य गंभीर रूप से व्यक्ति बीमार हो जाए या उसका एक अंग खराब हो जाए तो हमें तब बीमारी और जिंदगी की कीमत का अहसास होता है। उस समय हम परिवार के सदस्य को किसी भी कीमत पर बचना चाहते हैं। इसके उलट जब हम लोग सामान्य तौर पर अपनी जिंदगी गुजार रहे होते हैं तो जिंदगी का मूल्य ही नहीं समझ पाते हैं।

लापरवाही का ये नमूना देख लीजिए

29 अक्टूबर 2023 को आंध्र प्रदेश में जब दो पैसेंजर ट्रेन की टक्कर हुई थी। हादसे में 14 लोगों की मौत हुई थी। इसके साथ ही उसमें 50 से अधिक लोग घायल हुए थे। क्या आप जानते हैं इस हादसे की वजह क्या थी। जिस समय रेलगाड़ियों की टक्कर हुई, उस समय एक ट्रेन का लोको पायलट और सहायक लोको पायलट मोबाइल फोन पर क्रिकेट मैच देख रहे थे। क्रिकेट मैच की वजह से उनका ध्यान भटक गया था। इस बात का खुलासा खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया है। आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के कंटाकापल्ली में हावड़ा-चेन्नई मार्ग पर रायगड़ा यात्री रेलगाड़ी ने विशाखापत्तनम पलासा ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी थी। इस हादसे में चालक दल के दोनों सदस्यों की मौत हो गई थी।

भयावह हैं सड़क हादसे के आंकड़ें

देश में साल 2022 में कुल 4 लाख 61 हजार से अधिक सड़क हादसे हुए। इन सड़क हादसों में 1 लाख 68 हजार लोगों की जान चली गई। हर साल मौतों और सड़क दुर्घटनाओं का ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। कुल सड़क हादसों की बात करें तो इसमें ओवर स्पीडिंग यानी तेज रफ्तार का बड़ा हिस्सा रहा। ओवर स्पीडिंग की वजह से कुल हादसों में से 62.6% सड़क हादसे हुए। इनमें एक लाख से अधिक लोगों की मौत हुई। इसके बाद खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाने की वजह से होने वाले सड़क हादसों की हिस्सेदारी 24.7 फीसदी रही। इनमें 45 हजार से अदिक लोगों की जान गई।

जागरुकता से बनेगी बात, ये समझ से परे है

एक्सपर्ट का कहना है कि लोगों को सड़क हादसों के बारे में जागरूक करना होगा। इससे हादसों की संख्या में कमी आ सकती है। अब सवाल उठता है कि आखिर किसे समझाया है। महानगरों की जनसंख्या शिक्षा, जीवनस्तर से लेकर जानकारी के लिहाज से कही भी कमतर नजर नहीं आती है। ऐसे में लोगों को यह बात क्यों समझ नहीं आती है कि सड़क पर सुरक्षा कितनी अहम है। लोगों को अपनी जान के साथ ही दूसरों की जान की भी परवाह करने के लिए कान पकड़ या उंगली पकड़ कर बताना होगा। लोगों को कैसे जगाएं। कहां जाता है कि जगाया उसके जाता है जो सो रहा हो, जो सोने का नाटक करे उसे तो जगाया ही नहीं जा सकता है। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई समेत बड़े महानगरों में हादसों की संख्या अधिक है। ऐसे में यहां समझदार लोगों को कैसे समझाया जाए।


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