नीतीश ने उछाल दी सम्राट चौधरी की पगड़ी, अब क्या करेंगे ललन सिंह, बिहार में बदले सियासी मौसम में किसे नुकसान?
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पटना: बिहार में नए सियासी समीकरण ने कई लोगों के संकल्पों पर पानी फेर दिया है। भाजपा और जेडीयू के वैसे तो कई नेता एक दूसरे के बारे में आग उगलते रहे हैं, लेकिन दो नेताओं इनमें सबसे अलग ही अंदाज दिखाते रहे हैं। अब जेडीयू और भाजपा जब साथ आ गए हैं तो किस मुंह के साथ दोनों जनता के सामने मुखातिब होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। इनमें एक हैं जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और दूसरे भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी। एनडीए से नीतीश की जुदाई के बाद ललन सिंह ने पानी पी-पीकर भाजपा नेताओं को कोसा तो सम्राट चौधरी ने नीतीश को सीएम की कुर्सी से बेदखल करने तक माथे से पगड़ी न उतारने की सौगंध खा ली थी।
बदल गया सियासी समीकरण, जेडीयू-भाजपा अब साथ
बिहार में सियासी समीकरण अब बदल गया है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने आरजेडी का साथ छोड़ दिया है। यह दूसरा मौका है, जब जेडीयू ने आरजेडी के साथ छोड़ा है। सबसे पहले वर्ष 2017 में नीतीश ने भाजपा से हाथ मिला कर 2015 में बिहार में बनी महागठबंधन की सरकार गिरा दी थी। नीतीश ने भाजपा से हाथ मिला कर सीएम की अपनी कुर्सी बरकरार रखी थी। उनके शपथ ग्रहण की संख्या में सिर्फ इजाफा हुआ था। दूसरी बार नीतीश कुमार ने साल 2022 में आरजेडी से दोबारा हाथ मिला लिया। पर यह दोस्ती भी ज्यादा टिकाऊ नहीं रही। दो साल पूरा होने से पहले ही आरजेडी के साथ नीतीश की खटपट शुरू हुई और अब परिणति तक पहुंच गई है। नीतीश ने महागठबंधन का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया है। वे फिर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बन रहे हैं।क्यों बार-बार आरजेडी से सट कर हट जाते हैं नीतीश
यह सियासी शोधकर्ताओं के लिए शोध का रोचक विषय हो सकता है कि राजनीति में पाला बदल की इतनी घटनाएं कभी किसी ने देखी हैं क्या। उनकी एक खेमे से दूसरे खेमे में आवादजाही का यह चौथा मौका है। पहली बार 2013 में नरेंद्र मोदी को भाजपा ने जब पीएम पद का उम्मीदवार बनाया तो नीतीश बिदक कर एनडीए से अलग हो गए थे। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने अपने दम पर लड़ा और दो सीटें हासिल कर अपनी औकात का अंदाज भी लगा लिया। वर्ष 2015 का असेंबली चुनाव उन्होंने आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ लड़ा और आरजेडी से कम सीटें पाकर भी सीएम की कुर्सी संभाली। डेढ़ साल में ही उनका मन आरजेडी से भर गया और तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई मामले को लेकर उन्होंने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया। वे फिर भाजपा के सहयोग से बिहार के सीएम बन गए।महागठबंधन में रहते विपक्षी गठबंधन के सूत्रधार बने
इस बार नीतीश के तेवर बदले हुए थे। भाजपा को केंद्र से बेदखल करने के लिए उन्होंने विपक्षी एकजुटता की परिकल्पना की। खांचों में बंटे विपक्षी दलों को लेकर इंडी अलायंस का गठन हुआ। नीतीश के करीबी उन्हें विपक्ष के पीए फेस के तौर प देखने लगे। पर, बाद में कांग्रेस ने उन्हें गच्चा दे दिया। विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण इंडी अलायंस की कमान की कमान कांग्रेस ने अपने हाथ में ले ली। नीतीश के लिए विपक्षी गठबंधन में अब कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी। इंडी अलायंस में उन्हें संयोजक बनाने की चर्चा तक नहीं हुई। उनकी भूमिका महज अलायंस के एक पार्टनर दल के नेता तक सीमित हो गई। यहीं से नीतीश ने नई खिचड़ी पकानी शुरू की, जो मुकाम तक पहुंच गई है।सम्राट चौधरी ने नीतीश को हटाने तक बांधी थी पगड़ी
हालांकि बीजेपी ने भी इंडी अलायंस से मुकाबले के लिए अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी। बिहार में जातीय समीकरण को साधने के लिए बीजेपी ने कुशवाहा बिरादरी के सम्राट चौधरी को बिहार प्रदेश का अध्यक्ष बनाया। कुर्मी जाति से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पहले ही जेडीयू छोड़ बीजेपी के साथ आ चुके थे। नीतीश कुमार ने आरजेडी के मुस्लिम-यादव समीकरण की तरह लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण बनाया था। सम्राट चौधरी ने प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालते ही नीतीश कुमार को सीएम पद की कुर्सी से हटाने के लिए प्रतिज्ञा कर ली। उन्होंने सिर पर पगड़ी धारण की और सौगंध ली क जब तक नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी से बेदखल नहीं करेंगे, तब तक पगड़ी नहीं उतारेंगे। अब सवाल उठता है कि नीतीश कुमार तो दोबाराल भाजपा के साथ आ गए और योजना तय शर्तों के मुताबिक वे सीएम की कुर्सी भी संभालने वाले हैं। ऐसे में सम्राट चौधरी के संकल्प का क्या होगा ?ललन ने कहा था- भाजपा पर थूकने भी नहीं जाएंगे
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और नीतीश के खासमखास सांसद ललन सिंह ने कभी पत्रकारों से कहा था कि नीतीश कुमार भाजपा पर थूकने भी नहीं जाएंगे। उन्होंने यह बात तब कही थी, जब नीतीश कुमार की भाजपा से नजदीकियों की चर्चा मीडिया की सुर्खियां बन रही थीं। ललन सिंह ने मीडिया को भी लपेटे में लिया था और कहा था कि यह सब गोदी मीडिया की उड़ाई अफवाह है। अमित शाह को उन्होंने ऐसी खबरों का डायरेक्टर तक करार दिया था।from https://ift.tt/y4apxEl
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