'जुग-जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो', राम के जन्म पर जब राजा दशरथ ने दिया था किन्नरों को पहला नेग

शैलेंद्र शर्मा, अयोध्या: भगवान श्रीराम के अपने मंदिर में फिर से विराजमान होने को लेकर किन्नर समाज खासा खुश है। दरअसल, इस समाज का भगवान से जुड़ा का अलग ही किस्सा है। कहा जाता है कि बच्चे के जन्म पर किन्नरों को नेग देने की परंपरा भगवान राम के जन्म के साथ शुरू हुई थी। राजा दशरथ ने राम के जन्म पर किन्नरों को नेग दिया था। इसके बाद यह परंपरा बन गई। तब से किन्नर समाज बच्चे के जन्म पर ढोलक की थाप पर नाच-गाने के साथ बधाई और आशीर्वाद देकर नेग लेते हैं। यही नहीं, किन्नर समाज ने राम के वनवास जाने के बाद नदी किनारे 14 साल तक उनके लौटने का इंतजार किया था। ऐसे में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर किन्नर समाज भी जश्न मनाने की तैयारी में जुटा है।बच्चे का जन्म होने पर किन्नर समाज घर जाकर 'जुग-जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो' और 'प्रगटे हैं चारों भैया, अवध में बाजे बधैया' जैसी भेंट के साथ नाचते हुए आशीष देता है। आदि शिव ट्रांसजेंडर फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रियंका रघुवंशी ने बताया कि पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं कि रामलला के जन्म पर अयोध्या के राजमहल में बधाइयां गाईं थीं। इससे प्रसन्न होकर महाराजा दशरथ ने बहुत नेग दिया था। अब 500 साल के बाद अपने प्रभु को फिर से स्थापित होने की खुशी में पूरा समाज भाव विह्वल है।किन्नर समाज की मल्लिका मिश्रा ने बताया कि वन में भगवान राम से मिलने के बाद भरत जी और बाकी लोग अयोध्या लौट आए थे, लेकिन किन्नर अयोध्या नहीं लौटे। उन्होंने 14 साल तक समाज से दूर रहकर तमसा नदी के किनारे प्रभु के लौटने का इंतजार किया था। वनवास से लौटने पर प्रभु ने किन्नरों का समर्पण देख अभिवादन करने के साथ आशीर्वाद दिया कि जिस भी घर में बच्चे के जन्म का मांगलिक कार्य होगा, आप लोग वहां बधाइयां और आशीर्वाद देने जाएंगे। इसके बदले में नेग मिलेगा।


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