आसाराम की जेल से बाहर आने की तड़प बढ़ी, अब तक 12 जमानत याचिकाएं खारिज, बाहर आने के अब केवल 2 रास्ते
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जयपुर: दुष्कर्म के मामले में पिछले 11 साल से जेल में बंद आसाराम सलाखों से बाहर आने के लिए तड़प रहा है। पिछले 11 सालों में आसाराम के वकील ने लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक 12 याचिकाएं लगाई गई। पेरौल पर छोड़ने और सजा निलंबित किए जाने की मांग वाली सभी याचिकाएं कोर्ट की ओर से खारिज कर दी गईं। हाल ही 11 जनवरी को भी सजा निलंबन के लिए लगाई गई याचिका को कोर्ट ने खारिज किया है। आसाराम के वकील ने अब हाईकोर्ट में नई याचिका पेश की है।
जेल से बाहर आने के सब बहाने फेल
जेल की सलाखों से बाहर आने के लिए आसाराम ने पिछले 11 सालों में कई बहाने बनाए लेकिन उसका कोई भी बहाना काम नहीं आया। आसाराम ने कई दुर्लभ बीमारियों का हवाला देते हुए जेल से बाहर आने की कोशिश की लेकिन मेडिकल बोर्ड की जांच में ऐसी कोई बीमारी नहीं पाई गई। आसाराम के अंधभक्त भी उनकी जमानत की राह में रोड़ा बने हुए हैं। आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले तीन गवाहों की हत्या हो चुकी है। कई अन्य गवाहों पर भी जानलेवा हमले हुए। ऐसे में अगर आसाराम को पैरोल मिलती है तो कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर है। ऐसे में उसे पैरोल पर भी जेल से बाहर नहीं आने दिया जा रहा।क्या क्या बहाने बनाए आसाराम ने
जेल से बाहर आने के लिए आसाराम ने कई बहाने बनाए। अजीब अजीब बीमारियां बताकर जेल से बाहर आने की कोशिश की। एक बार त्रिनाड़ी शूल जैसी अनोखी बीमारी बताई जबकि मेडिकल बोर्ड की जांच में ऐसी कोई बीमारी नहीं पाई गई। सीने और पीठ में दर्द जैसी कई बीमारियां बताते हुए आसाराम ने कभी हरिद्वार के आयुर्वेद अस्पताल में भी जोधपुर स्थित उनके आश्रम में इलाज लेने के बहाने पैरोल मांगी लेकिन कोर्ट ने हर बार आसाराम की याचिकाएं खारिज कर दी। आशाराम को इलाज के लिए जेल अस्पताल में ही इलाज लेने के लिए कहा जाता रहा। गंभीर बीमार होने पर एम्स में भर्ती कराया लेकिन पैरोल नहीं दी गई।महिला आयुर्वेद वैद्य को जेल में आने की अनुमति मांगी
जेल जाने के शुरुआती दिनों में आसाराम की ओर लगाई गई एक याचिका में कहा गया कि वे 13 साल से त्रिनाड़ी शूल की बीमारी से ग्रसित हैं। वे 2-3 साल से महिला वैद्य नीता से इलाज भी ले रहे हैं। जेल में इलाज के लिए वैद्य नीता को 8 दिन जेल में आने की अनुमति मांगी गई थी। आसाराम की दलीलों के बाद मेडिकल बोर्ड से उनकी जांच कराई गई। तब आशाराम को ऐसी कोई बीमारी नहीं पाई गई।दो केस में आजीवन कारावास हो चुका आसाराम को
नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आसाराम को जोधपुर पुलिस ने वर्ष 2013 में इंदौर से गिरफ्तार किया था। तब से आसाराम जेल की सलाखों के पीछे है। 5 साल की लंबी सुनवाई के बाद 25 अप्रैल 2018 में कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। गुजरात के गांधीनगर में भी आसाराम के खिलाफ महिला से दुष्कर्म का केस दर्ज है। उस मामले में भी 31 जनवरी 2023 को आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। आसाराम आजीवन कारावास की दो सजाएं एक साथ भुगत रहा है।जेल से बाहर आने के दो रास्ते, दोनों कठिन
राजस्थान हाईकोर्ट से सीनियर एडवोकेट एके जैन बताते हैं कि आसाराम के पास जेल से बाहर आने के सिर्फ दो रास्ते बचे हैं लेकिन ये दोनों रास्ते भी मुश्किल भरे हैं। पहला पैरोल और दूसरा सुप्रीम कोर्ट या राष्ट्रपति से सजा माफी। चूंकि आसाराम को दो केस में आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। ऐसे में एक पैरोल मिल जाती है तो वह दूसरे केस में जेल में रहेगा। उसे दोनों मामलों में पैरोल मांगनी पड़ेगी जो एक साथ मिलना मुश्किल है। दूसरा सुप्रीम कोर्ट या राष्ट्रपति से सजा माफी की गुहार याचिका लगाई जा सकती है लेकिन आसाराम के संगीन मामले और उनके अंधभक्तों की हरकतों को देखते हुए उन्हें माफी मिलना भी मुश्किल है।from https://ift.tt/yr7sceU
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