इजरायल अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा, इकॉनमी की हालत खस्ता, हमास से कैसे लड़ेंगे नेतन्याहू?
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तेल अवीव: गाजा पट्टी में चल रहे जंग के बीच इस तिमाही में 2 फीसदी की गिरावट का सामना करने जा रही है। एक बड़े रिसर्च सेंटर ने इसकी संभावना जताई है। रिसर्च सेंटर ने इसकी वजह युद्ध के चलते हजारों कामगारों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना और काम से दूर हो जाना बताया है। बड़ी तादाद में लोगों को सेना में रिजर्व के तौर भी बुलाया गया है। कामगारों के सेना में रिजर्व के लिए चले जाने से भी इजरायल के सामने आर्थिक रुकावट आ रही है। वहीं युद्ध के चलते इजरायल का खर्च भी बढ़ा है, इसने देश की अर्थव्यवस्था को बेहद बुरे दौर में पहुंचा दिया है।ताउब सेंटर फॉर सोशल पॉलिसी स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में श्रम बाजार से लगभग 20 प्रतिशत इजरायली कार्यबल गायब हो गया, जो लड़ाई शुरू होने से पहले 3 प्रतिशत था। युद्ध के चलते यानी 7 अक्टूबर के बाद इन आंकड़ों में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। फिलहाल 20 प्रतिशत इजरायली कार्यबल, जो करीब 9,00,000 होता है, घर पर बेरोजगार है। दरअसल, इजरायल की लेबनान और गाजा से लगती हुए सीमाओं पर हमलों का डर लगातार बना हुआ है। यहां स्कूल बंद हैं और कामधंधे भी ठप हैं। बहुत से लोगों ने इन इलाकों को खाली कर दिया है। ऐसे में एक बड़ा वर्ग कामकाज से दूर हो गया है, जिसका सीधा असर इजरायल की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है।
अगले साल भी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होने की संभावना
ताउब सेंटर के अनुसार, 7 अक्टूबर को युद्ध शुरू होने के बाद से रविवार, 24 दिसंबर तक इजरायल में 191,666 लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया है, जिनमें से ज्यादातर ने कहा कि वो युद्ध शुरू होने से पहले काम करते थे लेकिन उनको बिना वेतन के जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। साथ ही इजरायली सेना में अक्टूबर में करीब 3,60,000 आरक्षित सैनिकों को ड्यूटी के लिए अधिकृत किया गया, ये 1973 के अरब-इजरायल युद्ध के बाद सबसे बड़ी संख्या है, जब 400,000 आरक्षित सैनिकों को मिस्र और सीरिया के लड़ने के लिए भर्ती किया गया था। सेना में ड्यूटी के लिए बुलाए गए रिजर्विस्टों में से 1,39,000 को श्रम बाजार से लाया गया है। इससे कई इंडस्ट्री पर सीधा असर हुआ है। इजरायल की अर्थव्यवस्था पर कई विश्लेषकों का कहना है कि इसी तिमाही नहीं बल्कि अगले साल भी इसमें बहुत सुधार की उम्मीद नहीं है। ज्यादातर एक्सपर्ट ने अगले तिमाही में इजरायली अर्थव्यवस्था के केवल 0.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की बात कही है। बैंक ऑफ इजरायल ने सबसे बेहतर 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान दिया है। इजराइल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट में उपाध्यक्ष कार्निट फ्लग ने कहा, हम जो अनुमान देख रहे हैं वह इस पर भी निर्भर करता है कि लड़ाई कितनी लंबी और कितनी तीव्र होगी। लड़ाई लंबी खिंचती है तो फिर स्थिति निश्चित ही और भी खराब होगी। जिसने ये सवाल भी खड़ा कर दिया है कि हमास के साथ लंबी लड़ाई लड़ने की बात कह रहे इजरायली पीएम नेतन्याहू युद्ध को कैसे जारी रखेंगे।from https://ift.tt/IoG6Q1x
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