पापा का सपना पूरा करने के लिए बेटे ने पास की BPSC परीक्षा, जश्न के पहले ही चली गई पिता की जान

जमुई: हर पिता का सपना होता है कि उनका बेटा तरक्की करे, वो पढ़ाई करके बड़ा अधिकारी बने। ऐसा ही सपना जमुई के जगदीश दास ने अपने बेटे के लिए भी देखा था। वो चाहते थे कि बेटा बड़ा होकर कलेक्टर बने। बेटे ने भी अपने पिता को निराश नहीं किया। उन्होंने बीपीएससी की 67वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा पास की। उनका सेलेक्शन सीनियर डिप्टी कलेक्टर के रूप में हुआ। बेटे की इस कामयाबी पर परिवार में जश्न शुरू होता इससे ठीक पहले पिता की मौत हो गई। इस सूचना के बाद परिवार में मातम का माहौल हो गया। इस खबर के बाद लोगों का यही कहना है कि बेटे ने जैसे ही पिता की अंतिम इच्छा पूरी की उन्होंने दुनिया छोड़ दी।

जमुई के ललन कुमार भारती ने पास की BPSC परीक्षा

ये मामला जमुई जिले के ललन कुमार भारती से जुड़ा है। जिन्होंने BPSC 67वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में सफलता हासिल की। इस कामयाबी के बाद ललन कुमार का सेलेक्शन सीनियर डिप्टी कलेक्टर के रूप में हुआ। जैसे ही उन्हें ये कामयाबी मिली परिवार ही नहीं पूरे क्षेत्र में इसकी चर्चा शुरू हो गई। ललन कुमार के पिता जगदीश दास को भी इस बात की जानकारी मिली। वो जमुई के अस्पताल में भर्ती थे। जैसे ही उन्हें ये सूचना मिली तो जैसे उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन बेटे की कामयाबी के जश्न में वो शामिल नहीं हो सके। बेटे की सफलता के बाद ही उनकी मौत हो गई।

इधर आया रिजल्ट उधर पिता की चली गई जान

जमुई जिले के बरहट ब्लॉक में रहने वाले जगदीश दास बस यही चाहते थे कि उनका बेटा बड़ा अधिकारी बने। ललन कुमार भारती उनके सबसे छोटे बेटे हैं, जिन्होंने परीक्षा में कामयाबी हासिल की। रिजल्ट आते ही अभी ललन कुमार के परिवार और दोस्तों ने जश्न मनाना शुरू किया था और उन्हें बधाई संदेश भी मिल रहे थे। तभी उनका फोन बज उठा। फोन उठाते हुए ललन कुमार को पता चला कि पिता अब नहीं रहे। वो पैन्क्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

पिता के जाने पर क्या बोले ललन कुमार

इस कामयाबी के मौके पर पिता के यूं अचानक दुनिया छोड़ने से ललन कुमार भारती को तगड़ा झटका लगा। उन्होंने कहा कि इससे अधिक चौंकाने वाला कुछ नहीं हो सकता। जिस दिन मेरा रिजल्ट घोषित हुआ, उसी दिन पिता स्वर्ग चले गये। अगर वह जीवित होते तो बहुत खुश होते। उनका सपना अपने बेटे को कलेक्टर के रूप में देखना था। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने अपने बच्चों की शिक्षा में आर्थिक तंगी को आड़े नहीं आने दिया।

बेटे ने पिता को दिया अपनी कामयाबी का श्रेय

अपने तीसरे प्रयास में बीपीएसपी परीक्षा पास करने वाले ललन कुमार भारती ने कहा कि पिता की प्रेरणा से मुझे ये कामयाबी मिली है। एक स्थानीय ग्रामीण भीष्मदेव मंडल ने कहा कि जगदीश दास को जीवनभर गंभीर वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया। नतीजा यह है कि उनके तीनों बेटों को नौकरी मिल गयी है। उन्होंने स्वयं संघर्ष किया लेकिन यह सुनिश्चित किया कि उनके सभी बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी करें। उनका एक बेटा शिक्षक है, दूसरा इंजीनियर है जबकि सबसे छोटा बेटा सीनियर डिप्टी कलेक्टर बन गया है।


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