माउंट एवरेस्ट से 11 गुना ज्यादा धूल... धरती के राजा डायनासोर कैसे खत्म हुए? वैज्ञानिकों का नया खुलासा
ब्रसेल्स: धरती से डायनासोर कैसे खत्म हुए इस पर वैज्ञानिकों ने एक नया खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने उस वजह को खोजा है, जिससे करीब 66 मिलियन साल पहले डायनासोर विलुप्त हो गए। बेल्जियम की रॉयल ऑब्जर्वेटरी के नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की टीम की नई स्टडी सोमवार को सामने आई है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि डायनासोर के धरती से खत्म हो जाने की वजह एस्टेरॉयड प्रभाव नहीं था। बल्कि 66 मिलियन यानी करीब साढ़े 6 करोड़ साल पहले डायनासोरों को मार डालने में चट्टानों से निकले मलबे और धूल ने अहम भूमिका निभाई थी।वैज्ञानिकों की स्टडी कहती है कि एक बड़े चट्टान के टूटने और इससे बिखरी धूल ने वायुमंडल में भारी अंधेरा कर दिया। धूप जमीन तक नहीं पहुंची और सब पौधे सूखने लगे। इस धूल की मात्रा करीब 2,000 गीगाटन थी। यानी ये धूल माउंट एवरेस्ट के वजन से 11 गुना ज्यादा थी जिसने धरती और आसमान के बीच एक दीवार जैसी बना दी थी। 15 साल तक ये वायुमंडल में मौजूद रही। धरती तक धूप नहीं आने की वजह से दुनिया भर में न्यूक्लियर विंटर आ गया। इसके नतीजे में तमाम पेड़ पौधे नष्ट हो गए। ऐसे में वो तमाम जानवर जो शाकाहारी थे, मरने लगे। शाकाहारी डायनासोर भी इस घटना में मरने लगे। डायनासोर ही नहीं, इन 15 सालों में जीवित प्राणियों में से 75 प्रतिशत धरती से गायब हो गए।
कई सालों से खोजा जा रहा डायनासोर के विलुप्त होने का जवाब
1978 में चिक्सुलब क्रेटर की खोज के बाद से वैज्ञानिक डायनासोर के विलुप्त होने के रहस्य को सुलझाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। एक बड़े एस्टेरॉयड के गिरने से डायनासोर के विलुप्त होने का दावा किया जाता रहा है। हालांकि जियोलॉजिकल फॉर्मेशन इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं है कि विशाल एस्टेरॉयड डायनासोर के विलुप्त होने की वजह था। इसका प्रमुख सिद्धांत यह रहा है कि एस्टेरॉयड के प्रभाव से सल्फर और जंगल की आग से निकली कालिख आसमान में छा गई और दुनिया को एक लंबी अंधेरी सर्दी में डुबो दिया, जिसमें डायनासोर खत्म हो गए।बेल्जियम के वैज्ञानकों के सोमवार को प्रकाशित शोध में भी इस बात को कहा गया है कि आसमान में फैली धूल डायनासोर की विलुप्ति का कारण बनी। इस धूल के कण अमेरिकी राज्य नॉर्थ डकोटा में टैनिस जीवाश्म स्थल पर पाए गए थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि धूल के कण 0.8 से 8.0 माइक्रोमीटर के थे। जो 15 साल तक वातावरण में बने रहने के लिए बिल्कुल सही आकार है। शोधकर्ताओं ने निर्धारित किया कि धूल ने जीवों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने में कहीं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी।from https://ift.tt/3ZfxPRo
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