रायगढ़ के इरशालवाड़ी में सब खत्म! 10 फीट नीचे मलबे में दब गए 50 घर, युवक की आंखों देखी सुन‍िए

रायगढ़: महाराष्‍ट्र के रायगढ़ ज‍िले के खालापुर तालुका के इरशालवाड़ी में भूस्खलन के कारण बड़ी आपदा आई है। बुध्‍वार रात में हुई इस घटना में गांव के कई घर मलबे में दब गए। करीब 50 घर तबाह हो गए। हादसे के बाद बचाव कार्य जारी है और अब तक 5 शव बरामद किए जा चुके हैं। मलबे में 100 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की आशंका है। इससे मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। वहीं हादसे की भयावहता सुन लोगों के होश उड़ गए हैं। दरअसल इरशालवाड़ी एक आदिवासी गांव है। देर रात गांव पर पहाड़ी मौत बनकर गिर गई। घटना की जानकारी मिलने पर रसायण में रहने वाले युवाओं का एक गुट मदद के लिए पहुंचा। मदद के ल‍िए आए युवक ने बताया क‍ि इरशालवाड़ी रसायनी से 3 से 4 किलोमीटर दूर है। गांव तक जाने के लिए एक छोटा सा रास्ता है। वहां बड़े वाहन नहीं जा सकते। हम अक्सर वहां ट्रैकिंग पर जाते हैं। अतः वह क्षेत्र हमसे परिचित है। रात में घटना की जानकारी मिलते ही हम डेढ़ घंटे पैदल चलकर वहां पहुंचे। वहां देखा तो हालात बेहद खराब थे।50-60 में से केवल 10 घर बचे युवक ने बताया क‍ि हमें रात करीब 12 बजे हादसे के बारे में पता चला। इसके बाद हम पैदल ही निकल पड़े। जब हम इरशालवाड़ी की ओर जा रहे थे तो फायर ब्रिगेड के जवान भी हमारे साथ थे। चढ़ाई के दौरान बेलापुर के फायर ब्रिगेड अधिकारी अचानक गिर पड़े। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। जब हम ऊपर पहुंचे तो सब कुछ नष्ट हो चुका था। इरशालवाड़ी में 50 से 60 घर हैं। केवल 10 घर खड़े थे। बाकी सभी घर जमींदोज हो गए।10 फीट के मलबे में दबे मकान युवक ने कहा क‍ि रात के समय इरशालवाड़ी के पांच बच्चे मंदिर में बैठे थे। वह अपने मोबाइल फोन पर गेम खेल रहे थे। उसी समय हादसा हो गया। बच्चों ने ही हादसे की जानकारी दी। रात को भारी बारिश हो रही थी। कीचड़ हो गया। इससे राहत कार्य में कई बाधाएं आईं। यहां तक पहुंचने के लिए एक पगडंडी है। कोई पक्की सड़क नहीं है। इसलिए यहां बड़ी मशीनें और गाड़ियां लाना बहुत मुश्किल है। मकान 10 फीट मलबे के नीचे दबे हुए हैं। इस ढेर को आसानी से नहीं उठाया जा सकता। इसलिए युवाओं ने कहा कि बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण था।


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