तब नवनरमण आदलन म मद न छतर क कय थ एकजट इमरजस क दरन सघ क कम क डटल आएग समन
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नई दिल्ली : 1975 में जब इमरजेंसी लगी उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और जन संघ की क्या भूमिका रही। इमरजेंसी के दौरान गुजरात नव निर्माण आंदोलन में का क्या योगदान रहा। उस दौर में जनता पार्टी के गठन से पहले की स्थिति समेत कई मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट सबके सामने होगी। प्रसार भारती की तरफ से इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई गई है। एक्सपर्ट कमेटी ने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। रिपोर्ट में गुजरात नव निर्माण आंदोलन में पीएम मोदी के योगदान का खास तौर पर जिक्र किया गया है।एक्सपर्ट की टीम ने गुजरात के 'नव-निर्माण' आंदोलन की सफलता में नरेंद्र मोदी के योगदान के बारे में एक व्यापक साहित्य तैयार किया है। इस आंदोलन ने ही समाजवाद के प्रतीक जय प्रकाश नारायण को प्रेरित किया। इसके बाद ही उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ अपने 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन के लिए छात्रों का समर्थन लिया था। सूत्रों ने कहा कि प्रसार भारती की एक टीम ने इस थीम पर काम किया है। इसका इस्तेमाल बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ करेगी कि कैसे आरएसएस और जनसंघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने विपक्षी एकता बनाने और जनता पार्टी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे ही 1977 के लोकसभा में कांग्रेस को सफलतापूर्वक हराया था। 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लागू करने के बाद चुनाव हुए। इस साहित्य में पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका भी शामिल होगी। नरेंद्र मोदी ने उन दिनों RSS पदाधिकारी के रूप में गुजरात में युवाओं को जेपी आंदोलन के समर्थन में जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जय प्रकाश नारायण और आरएसएस की तरफ से 1974 में मोदी के संगठनात्मक कौशल को स्वीकार करने का एक संदर्भ है। जब बाद में छात्रों ने गुजरात के नव-निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसमें सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के खिलाफ मध्यम वर्ग को शामिल किया गया था। सूत्रों ने कहा कि अभियान 'स्वदेशी आंदोलन' में आरएसएस और जनसंघ की भूमिका पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। इसका उद्देश्य है कि मौजूदा कांग्रेस को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखा जाए, जिसने लोकतंत्र के विपरीत काम किया। अभियान का उद्देश्य अखिल भारतीय गठबंधन के लिए एक साथ आने वाले विपक्षी दलों के बीच विरोधाभासों को उजागर करना होगा। इसमें इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि कैसे 'जनता पार्टी' के नेता, जिन्हें आपातकाल की ज्यादतियों का सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ा था, अलग हो गए और हार मान ली। उनकी मूल विचारधारा कांग्रेस से हाथ मिलाना है।
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