अपनी-अपनी सोचने की क्षमता है... संसद भवन इवेंट में विपक्ष के बहिष्कार पर बोले अमित शाह

नई दिल्ली: कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है। आज कांग्रेस पार्टी ने समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों का बयान जारी करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार करना न केवल महामहिम का अपमान है बल्कि लोकतंत्र पर भी हमला है। कांग्रेस के अलावा टीएमसी, एनसीपी, सपा, उद्धव गुट की शिवसेना, आम आदमी पार्टी, झामुमो, DMK, जेडीयू और RJD, नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कुल 19 पार्टियों की तरफ से बहिष्कार की घोषणा कर दी गई है। आज जब यही सवाल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह से किया गया तो उन्होंने एक लाइन में बड़ा सीधा जवाब दिया। शाह ने कहा कि राजनीति अपनी जगह पर चलती है और सब अपनी-अपनी सोचने की क्षमता के अनुसार रीएक्शन देते हैं और काम भी करते हैं। सवाल पूछा गया था कि संसद भवन का उद्घाटन वैदिक रीत-रिवाज से होगा, जब प्रधानमंत्री मोदी के उद्घाटन करने पर विपक्ष बहिष्कार कर रहा है तो सेंगोल स्थापित करने पर कैसा माहौल होगा? शाह ने कहा कि राजनीति को इसके साथ नहीं जोड़ना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, हमारी पुरानी परंपराओं से नए भारत को जोड़ने की, इसको इतने ही सीमित अर्थ में देखना चाहिए। शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर प्रधानमंत्री 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का प्रमाण है, जो नए भारत के निर्माण में हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है। उन्होंने कहा कि सेंगोल अंग्रेजों से भारतीयों के साथ सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। 14 अगस्त 1947 की रात में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु से आए अधीनम से सेंगोल को स्वीकार किया था। हालांकि पवित्र Sengol को किसी संग्रहालय में रखना अनुचित है। शाह ने कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता इसलिए जब संसद भवन देश को समर्पित किया जाएगा, उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी तमिलनाडु से आए अधीनम से Sengol को स्वीकार करेंगे।


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