'एकलव्य' पंड्या आईपीएल फाइनल में धोनी को गुरु-दक्षिणा नहीं देना चाहेंगे, क्यों?
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नई दिल्ली: ये सिर्फ दो शानदार टीमों के बीच की टक्कर नहीं है। आईपीएल का फाइनल चेन्नई सुपर किंग्स बनाम गुजरात टाइटंस के बीच होना, स्टार स्पोर्ट्स (टीवी प्रसारण) और जियो सिनेमा (डिजीटल प्रसारण) के लिए शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन का यशराज चोपड़ा की किसी फिल्म में आमने-सामने होने के बराबर है। नतीजा वैसी फिल्म का या फिर ऐसे मैच का, फैंस को फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वो तो दोनों को टकटकी निगाह से देखने के लिए आएंगे।क्रिकेट के लिहाज से देखा जाए तो हार्दिक पंड्या और महेंद्र सिंह धोनी, दोनों को करियर के इस स्टेज में आईपीएल 2023 जीतना काफी अहम है। धोनी के लिए इसलिए क्योंकि वो रोहित शर्मा की तरह 5 बार के चैंपियन हो सकते हैं। अगर धोनी के असाधारण कप्तानी करियर में कोई एक बात अक्सर उन्हें चुभती होगी तो यही कि आखिर आईपीएल में उनसे ज्यादा ट्रॉफी कोई और कप्तान कैसे जीत सकता है। वहीं पंड्या के लिए धोनी उनके गुरु हैं और वो किसी भी हाल में हार कर अपने गुरु का एकलव्य वाला अंगूठा तो नहीं ही देंगे। क्योंकि पंड्या को भी एहसास है कि इस आईपीएल ट्रॉफी की गूंज इन टूर्नामेंट के बाद भी गूंजेगी। 2022 टी20 वर्ल्ड कप के बाद रोहित शर्मा ने इस फार्मेट में इंडिया की कप्तानी नहीं की है और मैच में पंड्या ही कप्तान बने हैं। इस बात की चर्चा स्वाभाविक रुप से चल रही है कि 2024 में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान पंड्या ही होंगे। पंड्या के लिए लगातार दो आईपीएल जीतना उनकी दावेदारी को पूरी तरह से पक्का कर देगा। एक तरह से देखा जाय तो पंड्या के लिए ट्रॉफी जीतना भारतीय क्रिकेट में भी युग बदलने का स्वाभाविक संकेत भी होगा।पिछले मैच (क्वॉलिफायर 1) में हार के बाद पंड्या ने कहा था कि धोनी जिस तरह के कप्तान है उससे उनकी टीम को 10-15 रनों का एडवांटेज हमेशा मिलता है। लेकिन, फाइनल में पलड़ा पंड्या की टीम की तरफ झुकता दिख रहा है। मोहम्मद शमी, राशिद खान और मोहित शर्मा के तौर पर उनका गेंदबाजी आक्रमण ना सिर्फ सबसे बेहतरीन विविधता वाला है बल्कि टॉप तीन गेंदबाज, जिन्होंने सबसे ज्यादा विकेट इस सीजन झटके हैं। इनका इकॉनेमी रेट भी शानदार है। लेकिन, धोनी तो धोनी हैं। आईपीएल के इतिहास में नसे ज्यादा फाइनल तो किसी खिलाड़ी ने नहीं देखें हैं। पहले आईपीएल में फाइनल खेलने वाले धोनी अब 16 वें सीजन में भी फाइनल खेल रहें हैं। टीमें और कप्तान आते -जाते रहतें हैं लेकिन धोनी का करिश्मा कप्तान के तौर पर बरकरार रहता है। तो क्या हुआ 10 में धोनी की टीम को जीत सिर्फ 4 मौके पर ही मिली। 7 बार धोनी ने फाइनल में हार का मुंह देखा है।यूं तो धोनी का लकी नंबर 7 माना जाता है लेकिन फिलहाल धोनी के लिए आईपीएल फाइनल में ये अनलकी नंबर साबित हुआ है! धोनी निश्चित तौर पर चाहेंगे कि वो फाइनल में हारने वाले रिकॉड को भी 7 पर ही रहने दें। अगर 7 ने उनको बुलंदियों का एहसास कराया है तो यही 7 उन्हें ये भी आभास दिलाता रहेगा कि कामयाबी के साथ साथ नाकामी का पहिया भी घूमता रहता है। भावना के लिहाज से और और न्यूट्रल फैंस के लिहाज से देखा जाए तो गुजरात के स्थानीय समर्थकों को छोड़ दिया जाय तो बाकी हर टीम और दुनिया के हर शहर से अगर किसी एक टीम को फाइनल में जीतने के लिए समर्थन मिलेगा तो वो धोनी की टीम होगी। लेकिन, क्या यही समर्थन सिर्फ मैच जिताने के लिए काफी होगा?
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