जुलूस नहीं रोकूंगी, पर याद रखना... रामनवमी पर ममता क्यों कर रहीं हिंदू-मुसलमान?
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नई दिल्ली: रमजान चल रहा है और आज रामनवमी भी है। रामनवमी पर जुलूस निकालने की परंपरा रही है। इस बार पश्चिम बंगाल में जोरदार जुलूस निकाले जा रहा है। इसकी तैयारियां भांपकर प्रदेश की मुख्यमंत्री () के कान खड़े हो गए। उन्होंने किसी पार्टी या नेता का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारों में ही बीजेपी को चेतावनी दे डाली। ममता ने कहा कि मुस्लिम इलाकों में रामनवमी का जुलूस ( In Muslim Areas) गया और वहां हंगामा हुआ तो कानूनी-कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, 'मैं नहीं रोकूंगी लेकिन याद रखना, हम भी मार्च करेंगे, आप भी। रमजान का महीना भी चल रहा है। अगर तुम किसी मुस्लिम इलाके में जाकर हमला करते हो तो याद रखना, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।' यह जरूर है कि पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेतृत्व ने पूरे प्रदेश में निकलने वाले जुलूसों में अपने स्थानीय नेताओं, कार्यकर्ताओं को हिस्सा लेने की हिदायत दी है। बताया जा रहा है कि पार्टी ने पूरे प्रदेश से आज 1 करोड़ लोगों को सड़क पर उतारने की अपील की है।शायद यह एक वजह हो सकता है, लेकिन ममता के बयान से ऐसा मेसेज जा रहा है कि रामनवमी जुलूस में शामिल श्रद्धालु मुसलमानों पर हमले करते हैं, उन्हें इसका पूरा विश्वास है।
ममता की चेतावनी जान लीजिए
प. बंगाल की सीएम ने कहा, 'एक गुंडा कह रहा है, टीवी पर रिकॉर्ड है, रामनवमी के दिन जो शस्त्र मिलेगा, लेकर निकलूंगा। देखती हूं कौन क्या कर सकता है। अरे, तुम्हारे पास जो भी हथियार है ले लो। मैं रामनवमी जुलूस नहीं रोकूंगी, लेकिन याद रखना- हम भी मार्च करेंगे, आप भी। रमजान का महीना भी चल रहा है। अगर तुम किसी मुस्लिम इलाके में जाकर हमला करते हो तो याद रखना, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।' उन्होंने आगे कहा कि जुलूस और सभाएं करने का अधिकार सभी को है, लेकिन हंगामा करने का अधिकार किसी को नहीं है। ममता ने सख्त लहजे में कहा, 'रामनवमी की पूजा शांति से करो, रामनवमी मनाओ लेकिन रमजान के महीने का पालन करो।'बीजेपी का ऐलान- गली-गली में निकलेंगे जुलूस
मुख्यमंत्री ने तो बीजेपी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी पार्टी टीएमसी ने साफ-साफ कहा कि रामनवमी के जरिए बीजेपी बंगाल में हिंसा फैला सकती है। इधर, बीजेपी अपने बैनर तले तो कोई जुलूस नहीं निकाल रही है, लेकिन उसने अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं को सामाजिक संगठनों के जुलूसों में शामिल होने का निर्देश जरूर दिया है। प. बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और प्रदेश में बीजेपी का दिग्गज चेहरा शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को ही एक रैली में कहा कि राज्य में 1,000 बड़े जुलूस और 10,000 छोटे जुलूस निकाले जाएंगे।त्योहारों को लेकर ममता सरकार का रिकॉर्ड साफ नहीं
यह सच है कि रामनवमी जुलूस को लेकर कई बार अप्रिय घटनाएं घटती हैं। वजह अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कई बार सांप्रदायिक तनाव पैदा होता है। खासकर मुस्लिम इलाकों से जुलूस निकले तो माहौल हिंसक होने की आशंका बढ़ जाती है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन सांप्रदायिक घटनाओं से राजनीतिक हित भी साधे जाते हैं। लेकिन क्या सवाल है कि क्या सिर्फ बीजेपी हिंसा को अपना राजनीतिक हथियार बनाती है? क्या प. बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई भीषण हिंसा, हत्या और आगजनी की घटनाओं का सूत्रधार बीजेपी थी? क्या ममता सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए हिंदू त्योहारों पर कड़ाई करने के आरोप निराधार हैं? क्या कोलकाता हाई कोर्ट ने दुर्गा विसर्जन पर रोक लगाने के लिए प. बंगाल सरकार की फटकार नहीं लगाई थी?आखिर हिंदू-मुसलमान किया ही क्यों?
बीजेपी प. बंगाल में रामनवमी के जुलूस के बहाने मुसलमानों पर हमले करती है या करेगी, ममता बनर्जी अगर इस बात को लेकर आश्वस्त हैं तो फिर क्या वो यह गारंटी दे सकती हैं कि हिंदू त्योहारों पर दूसरे संप्रदाय कभी आपत्ति न करेंगे? ममता बनर्जी खुद को सेक्युलरिजम की चैंपियन के तौर पर पेश करती हैं, लेकिन उनके उनकी सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं। अगर बीजेपी हिंदुओं को जोड़ने में जुटी है तो ममता भी मुसलमानों पर लट्टू हैं। अगर बीजेपी रामनवमी जुलूस के जरिए हिंदुओं को साध रही है तो ममता भी कड़े बयान देकर मुसलमानों को लुभा रहे हैं। क्या इन बातें सिरे से खारिज की जा सकती हैं? आखिर हिदायत सिर्फ हिंदुओं को क्यों, मुसलमानों को क्यों नहीं? इन सबसे भी बड़ा सवाल- एक मुख्यमंत्री को रामनवमी जैसे पवित्र त्योहार पर हिंदू-मुसलमान करने की जरूरत ही क्या है? क्या प. बंगाल में जल्द ही होने वाले पंचायत चुनावों के लिए दोनों तरफ से माहौल तो नहीं बनाया जा रहा है?from https://ift.tt/NpdG4gu
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