पाकिस्तान में सभी 'स्कूल और दफ्तर' बंद, क्यों लिया फैसला, सोमवार को क्या बड़ा होगा?

इस्लामाबाद: पाकिस्तान खुद को एक न्यूक्लियर पावर कहता है, लेकिन कई बार यह साफ दिखता है कि वह खाड़ी देशों की गुलामी का मौका नहीं छोड़ता। जब सत्ता में इमरान खान थे तो सऊदी के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ड्राइवर बन बैठे थे। अब जब सत्ता में शहबाज शरीफ हैं, तो UAE के राष्ट्रपति के लिए कर रहे हैं। राजधानी इस्लामाबाद में 30 जनवरी यानी सोमवार को सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के साथ दफ्तरों को बंद करने का आदेश दिया गया है। स्कूलों को बंद करने का निर्णय संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की यात्रा के मद्देनजर लिया गया है। UAE के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के आमंत्रण पर पाकिस्तान आ रहे हैं।जिलाधिकारी इरफान नवाज मेमन ने आदेश जारी किया है। यह आदेश जरूरी सुविधाओं वाले दफ्तरों पर लागू नहीं होगा। जैसे इस्लामाबाद मेट्रोपॉलिटन कॉर्पोरेशन, कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी, पुलिस, बिजली सप्लाई कंपनी, गैस पाइपलाइन और अस्पताल खुले रहेंगे। इस अवकाश की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि इससे बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। UAE के राष्ट्रपति को नूर खान एयरबेस और प्रधानमंत्री आवास पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।

आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान

शेख मोहम्मद बिन जायद की यह यात्रा एक ऐसे समय में हो रही है, जब पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान इस समय रुपए की गिरती कीमत और कम होते विदेशी मुद्रा भंडार से परेशान है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जब कुछ दिनों पहले UAE गए थे तो उन्होंने कर्ज की भीख मांगी थी। उनका एक वीडियो भी आया था, जिसमें वह कहते हैं कि शर्माते हुए आखिरकार उन्होंने कर्ज मांग ही लिया था।

फैसले की हो रही आलोचना

UAE के राष्ट्रपति की यह यात्रा भी पाकिस्तान के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद हो सकती है। हालांकि स्कूल बंद करने की लोग आलोचना कर रहे हैं। पाकिस्तान के पत्रकार सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि एक न्यूक्लियर इस्लामिक देश होने का कोई गर्व नहीं है, क्योंकि हर बार हम अपने दोस्तों से भीख मांग रहे होते हैं।


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