यह सत्तर के दशक की बात है, वसंतदादा पाटिल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और मैं उनके मंत्रिमंडल में गृह मंत्री था। एक दिन दादा ने प्रमुख आईपीएस अधिकारियों की एक आवश्यक बैठक मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई। गृहमंत्री होने के नाते मैंने वहां उपस्थित रहना अपना कर्तव्य समझा। मैं 9:45 बजे वहां पहुंच गया क्योंकि मीटिंग दस बजे से प्रारंभ होनी थी। दस बज गए, दादा मीटिंग में नहीं पहुंचे। समय बीत रहा था। मैं उनके कमरे में उनको मीटिंग के बारे में याद दिलाने पहुंचा। उनके सामने एक साधारण किसान आगंतुक बैठे थे। from Navbharat Times https://ift.tt/2PyDhPx